महाकाल मंदिर के ढांचे की जांच करने आए CBRI के विशेषज्ञ, क्षरण रोकने के लिए समिति को दिए सुझाव
उज्जैन। केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआइ) रुड़की के दो सदस्यीय विशेषज्ञों का दल मंगलवार को महाकाल मंदिर पहुंचा। दल ने मंदिर के अलग-अलग क्षेत्रों में ढांचे की जांच कर फोटो और वीडियो बनाए। दल ने मंदिर प्रबंध समिति के अधिकारियों से भी चर्चा कर जानकारियां जुटाई। नए निर्माण कार्यों की भी जांच की गई।
सीबीआरआइ रुड़की के वरिष्ठ विज्ञानी आर शिवा चिदंबरम के साथ एक सहायक भी थे। उन्होंने मंदिर परिसर में नव निर्माण तथा प्राचीन अधोसंरचना का मूल्यांकन किया। चिदंबरम ने नागचंद्रेश्वर मंदिर के पत्थरों का घनत्व व मजबूती की पड़ताल की। उसके बाद परिसर में बनाई जा रही महाकाल टनल आदि की मजबूती को भी देखा। उन्होंने पुराने व नए निर्माण के फोटो भी लिए। वे बुधवार को भी शहर में रहेंगे और विभिन्न बिंदुओं पर जांच करेंगे।
हर छह माह में होती है जांच
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का क्षरण रोकने के लिए सारिका गुरु ने वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआइ) और सीबीआरआइ को समय-समय मंदिर जाकर जांच करने और रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दे रखे हैं। हर छह माह में विशेषज्ञ जांच करने उज्जैन पहुंचते हैं। क्षरण रोकने के लिए विशेषज्ञों ने कई सुझाव मंदिर समिति को दिए हैं।
क्षरण रोकने के लिए इन सुझावों पर अमल कर रही समिति
- भगवान महाकाल का आरओ जल से अभिषेक किया जा रहा है।
- प्रतिदिन भस्म आरती में ज्योतिर्लिंग पर कपड़ा ढंककर भस्म अर्पित की जा रही है।
- पंचामृत में शकर की जगह खांडसारी का उपयोग किया जा रहा है।
- भगवान को अर्पित किए जाने वाले चांदी के आभूषणों का वजन 13 किलो से कम कर करीब आठ किलो कर दिया गया है।
- भगवान को आभूषण धारण कराने से पहले ज्योतिर्लिंग पर कपड़ा ढंका जाता है।
- प्रतिदिन संध्या आरती में होने वाले भगवान महाकाल के शृंगार में भांग की मात्रा सात किलो से कम कर साढ़े तीन से चार किलो कर दी गई है।