छत्तीसगढ
एटीआर में नए रूट पर सैर करने पर्यटक रहें तैयार..
बिलासपुर। अचानकमार टाइगर रिजर्व में रूट क्रमांक एक पर्यटकों के लिए खास होने वाला है। दरअसल प्रबंधन पुराने भ्रमण मार्ग को बदलने की कवायद कर रहा है। इसके पीछे वजह जो भी है। लेकिन, पर्यटकों की सैर मजेदार रहेगी। एक ही रूट पर घूम-घूमकर पर्यटक ऊब चुके हैं। रूट बदलने से भ्रमण में नयापन आएगा। वन्यप्राणी भी नजर आएंगे। अचानकमार टाइगर रिजर्व पर्यटकों की सबसे पसंदीदा जगह है। इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हर साल छत्तीसगढ़ के अलग-अलग हिस्सों के अलावा कोलकाता, मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र के पर्यटक सैर करने के लिए पहुंचते हैं।
रूट बदलने के निर्णय का एक मुख्य कारण यह भी
टाइगर रिजर्व प्रबंधन का मानना है कि रूट में परिवर्तन होने से पर्यटकों को नयापन मिलेगा और वह संख्या भी बढ़ेगी। हालांकि नए रूट का निर्धारण नहीं हुआ है। इसको लेकर प्रबंधन की बैठक होगी। इसमें स्थानीय ग्रामीणों के अलावा वन प्रबंधन समिति के सदस्यों को शामिल किया जाएगा। सर्वसम्मति से ऐसे रूट तय करने की योजना है, जहां सैर करने के बाद पर्यटकों का मन गदगद हो जाए। प्रयास यह भी रहेगा कि नए रूट में पर्यटकों को वन्य प्राणियों को दीदार हो, इसका भी ध्यान रखा जाएगा।
रूट परिवर्तन के ये दो मुख्य कारण
अभी रूट क्रमांक एक के रूप में अचानकमार, साटापानी, सरईपानी होते जल्दा और छपरवा से मेन रेड होते हुए वापस अचानकमार तय किया गया है। इस रूट में पिछले साल हाथियों का मूवमेंट बढ़ा था। इससे पर्यटन प्रभावित होता था। – एक कारण अत्यधिक चढ़ाव है, जिसके चलते जिप्सी के परिचालन में दिक्कत होती है।
जानिए किन रूटों पर होता है भ्रमण
रूट क्रमांक एक
अचानकमार, साटापानी, सरईपानी, जल्दा, छपरवा , मेन रेड से वापस।
अचानकमार, पिपरिया, सरइपानी मांझीडोंगरी , जल्दा, छपरवा से वापसी।
अचानकमार, सारसडोल, आमानाला, जल्दा, छपरवा से वापस अचानकमार।
20 प्रतिशत क्षेत्र में भ्रमण की अनुमति अचानकमार टाइगर रिजर्व प्रबंधन पर्यटन को बढ़ाना चाहता है, लेकिन राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के सख्त नियमों की वजह से वह चाहकर भी भ्रमण का दायरा नहीं बढ़ा सकते। प्राधिकरण के निर्देश हैं कि केवल 20 प्रतिशत क्षेत्र में सैर के लिए अनुमति दी जाए। यहीं कारण है कि एक रूट बंद कर दूसरे को प्रारंभ किया जा रहा है।