धूड़मारास: पर्यटन पुरस्कार के बावजूद स्कूल की समस्या का समाधान खुद किया ग्रामीणों ने
बस्तर : धूड़मारास गांव को केंद्र सरकार ने पर्यटन के क्षेत्र में अच्छा काम करने के लिए सम्मानित किया है.लेकिन इस गांव में बच्चों को शिक्षित करने वाला स्कूल नहीं है. आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां जो सरकारी स्कूल था उसे जर्जर भवन के कारण ताला लगाकर बंद कर दिया.क्योंकि सवाल बच्चों की जान का था.स्कूल में ताला तो लगा दिया गया,लेकिन बच्चों की पढ़ाई स्कूल की जगह कहां होगी,इस बात पर शायद किसी का ध्यान नहीं गया.लिहाजा गांव वालों ने एक ग्रामीण का घर लेकर उसमें ही कक्षाओं का संचालन करवाना शुरु करवाया.लेकिन अब ये व्यवस्था भी नाकाफी साबित हो रही है.बावजूद इसके गांव में अब तक नए स्कूल भवन का निर्माण नहीं हुआ.
सिर्फ भवन के कारण ही गांव के बच्चों की पढ़ाई में दिक्कत आ रही थी.लिहाजा यहां के ग्रामीणों ने आपस में बैठकर ऐसा रास्ता निकाला जो आने वाले समय में लोगों के लिए किसी नजीर से कम नहीं है. दरअसल जब गांव के लोगों ने देखा कि बच्चों के लिए अब स्कूल भवन की जरुरत है तो उन्होंने खुद ही कुछ करने का फैसला लिया.इसके लिए ग्रामीणों ने श्रमदान करके एक स्कूल तैयार करने का फैसला किया.
सामुदायिक भवन को बनाया जा रहा स्कूल : इसके लिए गांव के सामुदायिक भवन को स्कूल में बदलने के लिए ग्रामीणों ने श्रमदान करके मेहनत करनी शुरु की. गांव के बच्चों का भविष्य अच्छा हो इसके लिए ग्रामीण अब हाथों में औजार लिए स्कूल भवन को बच्चों के लिए तैयार कर रहे हैं.
खेती के बाद श्रमदान : गांव में रहने वाले लोग अपनी स्वेच्छा से रोजाना स्कूल के काम में जुटते हैं.इसके लिए हर ग्रामीण तैयार रहता है.जिसे जिस काम में महारथ हासिल है वो उस काम में हाथ बटाता है. लकड़ी के काम में हुनर रखने वाले ग्रामीण स्कूल की छत बनाने का काम कर रहे हैं,तो भवन निर्माण से जुड़े लोग सामुदायिक भवन की मरम्मत कर उसे और भी पक्का बना रहे हैं.ताकि बच्चों का आना वाला कल उज्जवल हो.इधर कलेक्टर ने ग्रामीणों के कार्य को सराहा है.