अजीत डोभाल की मॉस्को यात्रा दो शत्रुओं के बीच संवाद कायम करने के भारतीय प्रयासों को दर्शाती है: एक्स्पर्ट
नई दिल्ली: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल 10 सितंबर से 12 सितंबर तक ब्रिक्स एनएसए की बैठक के लिए रूस की संभावित यात्रा से पहले, विदेश मामलों के विशेषज्ञ और विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के प्रतिष्ठित फेलो राजदूत अनिल त्रिगुणायत ने कहा कि यह यात्रा दोनों विरोधियों (रूस-यूक्रेन) के बीच संवाद बनाने के भारत के प्रयासों का एक हिस्सा है.
ब्रिक्स एनएसए की बैठक सेंट पीटर्सबर्ग में बोरिस येल्तसिन प्रेसिडेंशियल लाइब्रेरी में होने वाली है. डोभाल ब्राजील, रूस, भारत, चीन, श्रीलंका (BRICS) समूह की बैठक के लिए रूस का दौरा कर रहे हैं, लेकिन रूस-यूक्रेन संघर्ष पर चर्चा भी उनके एजेंडे में सबसे ऊपर है.
रूस-यूक्रेन संघर्ष की पृष्ठभूमि में डोभाल की संभावित मॉस्को यात्रा के महत्व के बारे में पूछे जाने पर त्रिगुणायत ने ईटीवी भारत को बताया कि यह दोनों विरोधियों के बीच बातचीत बनाने और युद्धविराम के भारत के प्रयासों का एक सिलसिला है.
कौन-कौन होगा शामिल?
उन्होंने कहा, “एनएसए डोभाल की यात्रा आगामी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन और उनके चीनी NSA के साथ संभावित बैठक के संबंध में भी है.” मूल ब्रिक्स सदस्यों के अलावा, मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के एनएसए के भी बैठक में भाग लेने की उम्मीद है. यह देश 1 जनवरी, 2024 से इसके सदस्य बन गए हैं.
पुतिन ने की था भारत करवा सकता मध्यस्थता
ब्रिक्स NSA की बैठक रूस-यूक्रेन संघर्ष को हल करने के लिए एक बड़े प्रयास के बीच हो रही है. गौरतलब है कि 5 सितंबर को रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कहा था कि चीन, भारत और ब्राजील यूक्रेन पर संभावित शांति वार्ता में मध्यस्थ के रूप में कार्य कर सकते हैं. रूस में ईस्टर्न इकोनॉमिक फॉरम पर बोलते हुए, राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि युद्ध के पहले सप्ताह में इस्तांबुल में वार्ता में रूसी और यूक्रेनी वार्ताकारों के बीच एक समझौता हुआ था, जिसे कभी लागू नहीं किया गया. यह समझौता वार्ता के लिए आधार के रूप में काम कर सकता है.
पीएम मोदी ने पुतिन से की बातचीत
रूस-यूक्रेन विवाद को लेकर भारत ने अब तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई वार्ताओं में हिस्सा लिया है. पिछले महीने प्रधानमंत्री मोदी ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन से टेलीफोन पर बातचीत की और अपनी कीव यात्रा के बारे में जानकारी दी. इस दौरान उन्होंने राजनीतिक और कूटनीतिक माध्यमों से शांतिपूर्ण समाधान निकालने के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई. इस बातचीत के समय ही नेताओं ने सहमति जताई कि एनएसए डोभाल शांति वार्ता के लिए मास्को जाएंगे.
इतना ही नहीं पिछले महीने यूक्रेन की अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात की और विवाद पर चर्चा की. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “भारत कभी भी तटस्थ नहीं रहा, हम हमेशा शांति के पक्ष में रहे हैं.” रूस-यूक्रेन विवाद में भारत ने अपेक्षाकृत तटस्थ रुख बनाए रखा है. नई दिल्ली ने टकराव के बजाय संवाद और बातचीत पर जोर दिया है. इसने शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया है और किसी भी पक्ष का पक्ष लेने से परहेज किया.