चक्रधर समारोह के पांचवें दिन नन्हें कलाकारों की चमक, शास्त्रीय संगीत और नृत्य ने बांधा समां

रायगढ़। रायगढ़ में आयोजित 40वें चक्रधर समारोह के पांचवें दिन मंच नन्हें कलाकारों की प्रतिभा से जगमगा उठा। शास्त्रीय संगीत, कथक और भरतनाट्यम की मनमोहक प्रस्तुतियों ने दर्शकों को बांधे रखा। कार्यक्रम स्थल पर बड़ी संख्या में दर्शक मौजूद थे और हर प्रस्तुति पर तालियों की गूंज से वातावरण संगीतमय हो गया।
दिन की शुरुआत रायगढ़ की बाल कलाकार आराध्या सिंह की शास्त्रीय संगीत प्रस्तुति से हुई। उन्होंने राग वृंदावली सारंग में छोटा खयाल, द्रुत लय, तराना और मीरा भजन प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लिया। आराध्या पिछले चार वर्षों से चक्रधर कला और संगीत महाविद्यालय में गुरु माता चंद्रा देवांगन से प्रशिक्षण ले रही हैं।

इसके बाद कथक नृत्य की बारी आई। रायगढ़ की 14 वर्षीय शैलवी सहगल ने अपनी प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया, वहीं कोरबा की अश्विका साव ने ताल, लय और भावों के अद्भुत संगम से ऐसा जादू बिखेरा कि सभागार तालियों की गूंज से भर गया। रायपुर की 11 वर्षीय अन्विता विश्वकर्मा ने लखनऊ घराने की अद्भुत शैली पेश करते हुए उठान, ठाठ, आमद और ठुमरी से दर्शकों का दिल जीत लिया।

नृत्य की इस श्रंखला में भिलाई की 16 वर्षीय आद्या पाण्डेय की भरतनाट्यम प्रस्तुति ने खास आकर्षण बटोरा। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित आद्या ने अपने गुरु डॉ. जी. रतीश बाबू से प्राप्त शिक्षा का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। दुर्ग की अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त नृत्यांगना एमटी मृन्मयी ने भी अपनी भरतनाट्यम प्रस्तुति से समां बांध दिया। उन्होंने अब तक 1300 से अधिक मंचों पर प्रस्तुति देकर भारतीय शास्त्रीय नृत्य परंपरा को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई है।





