छत्तीसगढ

नक्सल हिंसा में शरीर का अंग गवा चुके आदिवासी दिल्ली में, राष्ट्रपति से बताएंगे अपना दर्द, JNU भी जाएंगे …

बस्तर | छत्तीसगढ़ के बस्तर से नक्सली हिंसा से पीड़ितों का एक दल देश की राजधानी दिल्ली पहुंचा है. 55 सदस्यीय इस दल में कई आदिवासी ऐसे हैं जो नक्सली हिंसा की वजह से अपने शरीर का अंग खो चुके हैं. दल में आदिवासी युवा और महिला भी शामिल हैं. इनमें से किसी का एक पैर नहीं है तो कोई हाथ या शरीर का दूसरा अंग नक्सली हिंसा की वजह से खो चुका है.

समाधान की मांग करेंगे

बस्तर में नक्सली हिंसा के खिलाफ काम कर रही है एक समिति के नेतृत्व में आदिवासियों का दल तीन दिन तक दिल्ली में रहेगा. इस दौरान राष्ट्रपति उनकी और केंद्रीय गृह मंत्री से मुलाकात हो सकती है. राष्ट्रपति से मिलकर बस्तर में नक्सल हिंसा की वजह से हो रही समस्याओं बताएंगे और जल्द ही इस मामले के समाधान की भी मांग करेंगे. इस दौरान छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री व गृह मंत्री विजय शर्मा भी उनके साथ रहेंगे. तीन दिवसीय इस दौर में नक्सल हिंसा से प्रभावित आदिवासियों का यह समूह दिल्ली भ्रमण करेगा और जेएनयू भी जाएगा.

इन जिलों के पीड़ित हैं शामिल

इस दल में कई ऐसे सदस्य हैं जिनके परिवार के लोगों को नक्सलियों ने मार दिया या उनपर जानलेवा हमला किया. बस्तर के बीजापुर, सुकमा, जगदलपुर, कोंडागांव कांकेर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर से ये आदिवासी दिल्ली आए हैं. कहा जा रहा है कि अब तक इस तरह का समूह एक साथ इतनी संख्या में राष्ट्रपति से मिलने दिल्ली नहीं पहुंचा था. देश के गृह मंत्री अमित शाह ने बस्तर से नक्सली हिंसा को जल्द समाप्त करने की बात कही है. ऐसे इस दल के लोगों को उम्मीद है कि उनकी बात प्रमुखता से सुनी जाएगी और उनकी समस्याओं के निदान के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे.

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