जम्मू: गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में जनता को संबोधित करते हुए कहा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आर्टिकल 370 को हटाना अब इतिहास का हिस्सा बन चुका है और भारतीय संविधान में अब इसके लिए कोई जगह नहीं है. उन्होंने कहा कि, जम्मू कश्मीर में फिर कभी दो संविधान, दो प्रधान या दो झंडे नहीं होंगे. उन्होंने कहा कि, राष्ट्रीय तिरंगा ही एकमात्र झंडा होगा.
अमित शाह ने आगामी विधानसभा पर बोलते हुए कहा कि, चुनाव में एक तरफ नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और कांग्रेस , और दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) है. उन्होंने कहा कि, एनसी और कांग्रेस ने सत्ता में आने आर्टिकल 370 को बहाल करने का वादा किया है. उन्होंने कहा कि, पहाड़ी और गुज्जर समुदायों को दिया जाने वाला मौजूदा आरक्षण आर्टिकल 370 के तहत नहीं दिया जा सकता है.
उन्होंने नेहरू-गांधी और अब्दुल्ला परिवारों पर क्षेत्र में उग्रवाद को बढ़ावा देने और अब फिर से लोगों का समर्थन मांगने का आरोप लगाया. उनके अनुसार, जब भी एनसी और कांग्रेस ने इस क्षेत्र पर शासन किया है, उग्रवाद बढ़ा है, खासकर 1990 के दशक में…. उन्होंने 1990 का जिक्र करते हुए और उस दशक की हिंसक अवधि के दौरान एनसी नेता फारूक अब्दुल्ला की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब कश्मीर में खून-खराबा हो रहा था, तब वह अनुपस्थित थे.
अमित शाह ने पीएम मोदी और एनसी के तहत कश्मीर के लिए भाजपा के विकास के एजेंडे और कांग्रेस की उग्रवादियों को सशक्त बनाने की कथित इच्छा के बीच अंतर बताया. उन्होंने आर्टिकल 370 के समाप्त होने के बाद हाशिए पर पड़े समूहों को दिए गए महिला आरक्षण और अन्य आरक्षण को वापस लेने के उनके इरादे की आलोचना की, जबकि पीएम मोदी की सरकार का लक्ष्य इन अधिकारों को गुज्जरों, पहाड़ियों, दलितों, ओबीसी और महिलाओं तक पहुंचाना है.
अपने संबोधन के दौरान शाह ने चेतावनी दी कि 1990 के दशक की तरह ही, एनसी और कांग्रेस द्वारा सत्ता में वापस आने पर आतंकवादियों को रिहा करने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने भीड़ को आश्वस्त किया कि पीएम मोदी की सरकार के तहत, कोई भी भारतीय धरती पर आतंकवाद फैलाने की हिम्मत नहीं करेगा.
गृह मंत्री अमित शाह ने किश्तवाड़ में जनता को संबोधित करते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि, कांग्रेस की गलत नीतियों का कारण जब भारत का विभाजन हुआ तो रियासत जम्मू कश्मीर कहा जाएगी, इसका फैसला करने में नेहरू की शेख-परस्त नीतियों के कारण बड़ी देरी हुई.
उन्होंने कहा कि, किश्तवाड़ की ये भूमि बलिदानियों की भूमि है, कांग्रेस की गलत नीतियों के कारण जब भारत का विभाजन हुआ तो रियासत जम्मू कश्मीर कहां जाएगी, इसका फैसला करने में नेहरू की शेख-परस्त नीतियों के कारण बड़ी देर हुई. जब-जब जम्मू-कश्मीर पर संकट आया, किश्तवाड़ के लोग बलिदान देने में पीछे नहीं हटे. 1990 के आतंकवाद के दौरान सुरक्षा बलों के साथ मिलकर यहां का हर नागरिक लड़ा और आतंकवाद को समाप्त करने में अपना योगदान दिया.