मध्यप्रदेश

दुनिया में शिव की एकमात्र अष्टमुखी मूर्ति… आक्रांताओं के भय से शिवना नदी में छुपा दिया गया था, आज का दिन बहुत खास..

मंदसौर। शिवना नदी के तट पर भगवान पशुपतिनाथ का प्रसिद्ध मंदिर है। यहां विश्व की एकमात्र शिव की अष्टमुखी मूर्ति है। यह पांचवीं सदी में निर्मित बताई जाती है। संभवत: आक्रांताओं के भय से इसे शिवना नदी में छुपा दिया गया था, जो वर्ष 1940 में बाहर निकाली गई।

1961 में मार्गशीर्ष कृष्ण पंचमी पर मूर्ति को विधिवत वर्तमान मंदिर के गर्भगृह में प्रतिष्ठित किया गया था। 20 नवंबर को मंदिर का 64वां प्रतिष्ठा महोत्सव मनाया जा रहा है।

21 साल तक खेत में रही मूर्ति

  • भगवान शिव की मूर्ति के आठ मुख, जीवन की चार अवस्थाओं का वर्णन करते हैं। पूर्व का मुख बाल्यावस्था, दक्षिण का किशोरावस्था, पश्चिम का युवावस्था और उत्तर का मुख प्रौढ़ावस्था के रूप में दिखता है।
  • 19 जून 1940 को शिवना नदी से इस अष्टमुखी मूर्ति को निकाला गया था। इसके बाद 21 साल तक भगवान पशुपतिनाथ की मूर्ति नदी के तट पर स्थित पूर्व विधायक बाबू सुदर्शनलाल अग्रवाल के खेत पर रखी रही।
  • मूर्ति का पूरा ध्यान भी उन्होंने ही रखा। मूर्ति के आठों मुखों का नामकरण भगवान शिव के अष्ट तत्व के अनुसार किया गया है। इनमें शर्व, भव, रुद्र, उग्र, भीम, पशुपति, ईशान और महादेव के रूप में पूजे जा रहे हैं।

सम्राट यशोधर्मन के काल में हुआ था मूर्ति का निर्माण

इतिहासकारों की मानें तो इस मूर्ति का निर्माण विक्रम संवत 575 ई. के आसपास सम्राट यशोधर्मन के काल में हुआ होगा। बाद में मूर्ति भंजकों से बचाने के लिए इसे शिवना नदी में बहा दिया गया होगा।

कलाकार ने मूर्ति के ऊपर के चार मुख पूरी तरह बना दिए थे, जबकि नीचे के चार मुख निर्माणाधीन थे। मंदसौर के पशुपतिनाथ की तुलना काठमांडू स्थित पशुपतिनाथ से की जाती है। मंदसौर स्थित पशुपतिनाथ की मूर्ति अष्टमुखी है, जबकि नेपाल स्थित पशुपतिनाथ चारमुखी हैं।

एक क्विंटल है कलश का वजन

27 नवंबर 1961 को मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष पंचमी पर स्वामी प्रत्यक्षानंद महाराज के करकमलों से अष्टमुखी मूर्ति की प्रतिष्ठा की गई थी। मप्र के योजना तथा सूचना उपमंत्री सीताराम जाजू भी उपस्थित रहे। 26 जनवरी 1968 को मंदिर के शिखर पर स्वर्ण कलशारोहण हुआ था। इस समय विजयाराजे सिंधिया भी उपस्थित थीं।

कार्यक्रम में महामंडलेश्वर स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि महाराज, स्वामी प्रत्यक्षानंदमहाराज का सान्निध्य मिला था। कलश के गोलम्बोर पर श्री पशुपतिनाथ के चार मुख तथा कमल अंकित हैं। कमल पर कलश स्थित है। कलश का वजन एक क्विंटल है। इस पर 51 तोला सोना चढ़ा हुआ है। त्रिशूल पर 10 तोला सोना मंडित किया हुआ है। 1963 से नगर पालिका ने श्री पशुपतिनाथ मेला मेला प्रारंभ किया।

51 हजार लड्डुओं का महाभोग लगेगा

श्री पशुपतिनाथ मंदिर पुजारी परिवार द्वारा 20 नवंबर को 64वां प्रतिष्ठा महोत्सव मनाया जाएगा। सुबह 7.30 बजे से 51 पंडितों द्वारा महारुद्र अभिषेक किया जाएगा। इसके बाद मूर्ति एवं गर्भगृह का विशेष फूलों से नयनाभिराम शृंगार किया जाएगा। श्रद्धालुओं को चारों द्वार से भगवान के विभिन्न रूपों में दर्शन होंगे। 51 हजार लड्डुओं का भोग लगाया जाएगा। शाम 6.15 बजे महाआरती होगी। महाआरती में विशेष कलाकारों द्वारा बैंड तथा नासिक व अहमदाबाद के ढोल की प्रस्तुति दी जाएगी। आतिशबाजी भी होगी।

Show More

Related Articles

Back to top button
Everything you didn’t know about los angeles How to get safari’s privacy feature in chrome
Everything you didn’t know about los angeles How to get safari’s privacy feature in chrome The Venice Simplon Orient Express Honcymooning in italy