पर्यटकों को दिखा बाघ दिन-ब- दिन बढ़ती जा रही संख्या, टाइगर रिजर्व की राह आसान…
बिलासपुर। पीडब्ल्यूडी ने पहला बोर्ड सकरी कोटा मोड के पास लगाया गया है। यहां बोर्ड की सबसे ज्यादा आवश्यकता थी। रायपुर, कोरबा या बिलासपुर होकर अचानकमार जाने वाले पर्यटक इस चौक पर ही भ्रमित होते थे।
मार्ग दर्शक सुचना बोर्ड लगाए गए
अधिकांश पर्यटक मुंगेली की ओर बढ़ जाते थे। सड़क के ठीक किनारे ग्रीन कलर में बोर्ड, एरो का निशान और टाइगर रिजर्व कितनी दूरी पर है कि इसकी स्पष्ट जानकारी दी गई है। इस बोर्ड को लगे बामुश्किल तीन से चार दिन ही हुए हैं।
अब पर्यटकों को किसी से पूछने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती वह चौक पर पहुंचने के बाद कोटा मार्ग की ओर मुड जाते हैं। इसके अलावा कोटा चौक, गोबरीपाठ समेत सात जगहों पर सूचना बोर्ड लगाए गए हैं।
स्वागत का बोर्ड
इसके अलावा जब पर्यटक अचानकमार पहुंच जाते हैं तो वहां स्वागत का बोर्ड लगाया गया है। प्रबंधन का मानना है कि पहले अन्य पीडब्ल्यूडी ने जितने बोर्ड लगाए थे, उनमें कोटा, लोरमी, अमरकंटक आदि जगहों तक पहुंचने की जानकारी थी।
इनमें से एक भी बोर्ड में अचानकमार की दूरी नहीं थी। इसके चलते उन पर्यटकों को सबसे ज्यादा दिक्कत होती थी, जो दूसरे जिले या प्रदेश से पहुंचते थे। एटीआर पहुंचने के बाद पर्यटक इस नई व्यवस्था की प्रशंसा करते हैं और यह कहते हैं कि बोर्ड ने टाइगर रिजर्व तक पहुंचने की रात आसान कर दी है।
रविवार को प्रत्येक पाली में बुकिंग
अचानकमार टाइगर रिजर्व में पर्यटकों की संख्या दिन-ब- दिन बढ़ती जा रही है। रविवार को सुबह से लेकर शाम तक पाली में जिप्सी बुक रही। प्रबंधन मान रहा है कि एटीआर की लोकप्रियता बढ़ने लगी है।
इसकी एक वजह पर्यटकों को बाघ दिखना भी है। एक दिन पहले शनिवार को मुंगेली, सिमगा व अंबिकापुर के पर्यटकों ने अचानकमार में बाघ का दीदार किया। आने वाले दिनों में बाघ और अधिक संख्या में नजर आएंगे।
सात जिप्सी, दो योद्धा और एक बस की व्यवस्था
अचानकमार टाइगर रिजर्व में अभी पर्यटकों को घूमाने के लिए सात जिप्सी, नौ सीटर दो योद्धा वाहन और 20 सीटर एक की व्यवस्था की गई है। प्रबंधन का मानना है कि जिस तरह पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है। उसे देखते हुए आने वाले दिनों प्रबंधन को वाहनों की संख्या बढ़ानी पड़ेगी। अभी सभी वाहन बुक होने के कारण कई पर्यटक सैर से वंचित रह जाते हैं। आनलाइन बुकिंग की व्यवस्था लागू होने से अब पहले आओ, पहले पाओ जैसी स्थिति बन चुकी है।