6 लाशों से फिर बिगड़े मणिपुर के हालात, हिंसा देख स्कूल-कॉलेज बंद…
इंदौर। मणिपुर में एक बाद फिर हिंसा भड़क गई है। जिरीबाम जिले में पिछले हफ्ते 6 लोगों की लाश नदी में मिली थी। इस घटना ने चिंगारी काम किया, जिससे गुस्साई भीड़ ने मंत्री व विधायकों के घर में आग लगा दी। क्षेत्र में भड़की हिंसा को देखते हुए केंद्रीय गृहमंत्री ने महाराष्ट्र में चुनावी रैलियों को रद्द कर दिल्ली में हाई लेवल मीटिंग की। इसमें एनएसए प्रमुख अजीत डोभाल भी शामिल हुए।
मीटिंग में तय किया गया कि मणिपुर में शांति लौटाने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बलों के जवानों को भेजने की जरूरत है। ऐसे में 5 हजार से अधिक कर्मियों वाली अतिरिक्त सीएपीएफ कंपनियां भेजी जाएंगी। अभी वहां गृह मंत्रालय की ओर से 20 अतिरिक्त सीएपीएफ कंपनियां, सीआरपीएफ से 15 और बीएसएफ से 5 राज्य में भेजी हैं।
मणिपुर में हिंसा भड़ने का कारण
मणिपुर में राहत शिवर से बीते हफ्ते पहले महिला सहित बच्चे गायब हो गए थे। बताया जा रहा है कि उग्रवादियों ने बुजुर्ग महिला, उसकी दो बेटियों व तीन नाबालिग पोते-पोतियों की हत्या कर शव नदी में फेंक दिया था। शवों के मिलने के बाद क्षेत्र में हिंसा फैल गई।
गुस्साई भीड़ ने तीन मंत्रियों और मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के दामाद सहित छह विधायकों के घरों को निशाना बनाया। दो चर्चों और तीन घरों को भी आग के हवाले कर दिया। सोमवार को सीआरपीएफ के साथ 10 कुकी उग्रवादियों की मुठभेड़ हुई, जिसमें उनकी मौत हो गई।
हिंसा ने बदल दिए राजनीतिक समीकरण
मणिपुर में हिंसा का दौर थम नहीं रहा है। ऐसे में राजनीतिक समीकरण भी बदलने लगे हैं। नेशनल पीपुल्स पीर्टी ने मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस लेने का एलान कर दिया है। एनडीए में अपनी स्थिति को साफ करते हुए कहा कि उनका समर्थन अभी एनडीए को है। वह बस मुख्यमंत्री बीरेन सिंह का समर्थन नहीं कर रहे हैं। केंद्रीय नेतृत्व मणिपुर में नेतृत्व परिवर्तन करता है, तो वह फैसले पर दोबारा विचार कर सकते हैं।