मध्यप्रदेश

रिटायर अधिकारी को अश्लील वीडियो केस में आरोपी बताकर डराया, फिर डिजिटल अरेस्ट कर ठगे 2.55 करोड़ रुपये

उज्जैन। हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड कंपनी के सेवानिवृत्त अधिकारी 76 वर्षीय रवींद्र कुलकर्णी निवासी मंगल कालोनी को डिजिटल अरेस्ट कर 2.55 करोड़ रुपये की ठगी की गई। अधिकारी को जेल भेजने व 5 लाख रुपये जुर्माना लगाने के नाम पर धमकी देकर डिजिटल अरेस्ट किया। उसके बाद रवींद्र ने अपने व पत्नी के बैंक खातों से ठग के दिए बैंक अकाउंट में आरटीजीएस के जरिए 2.55 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए। माधवनगर थाना पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

पुलिस ने बताया कि रवींद्र कुलकर्णी ने 20 सितंबर को थाने में शिकायत की थी कि उनके मोबाइल पर 10 सितंबर को हेमराज कोली नामक व्यक्ति ने फोन किया था। कोली ने खुद को मुंबई पुलिस का एसआइ बताया था। कथित एसआइ कोली ने कहा कि वह अंधेरी थाने पर पदस्थ है। कुलकर्णी के खिलाफ मनी लांड्रिंग के 17 केस दर्ज हैं। अश्लील वीडियो संबंधी शिकायतें भी हैं। तीन साल की कैद व पांच लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है। कुलकर्णी को जेल भेजने की धमकी देकर डिजिटल अरेस्ट कर लिया।

कुलकर्णी को मनी लांड्रिंग के केस में रुपये वेरीफाई कराने के नाम पर उनके बैंक खाते में जमा राशि को कोली के दिए बैंक खातों में ऑनलाइन ट्रांसफर करने को कहा। डर के कारण कुलकर्णी ने 11 से लेकर 13 सितंबर तक ठग के दिए बैंक खातों में अपने व पत्नी अनामिका के बैंक खातों से 2.55 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए। उसके बाद कुलकर्णी माधवनगर थाने पहुंचे। पुलिस ने उनकी शिकायत पर अज्ञात बदमाशों के खिलाफ केस दर्ज किया है।

सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी से हो चुकी 50 लाख रुपये की ठगी

उज्जैन में अगस्त में ही डिजिटल अरेस्ट से ठगी की एक और बड़ी वारदात अगस्त महीने में हो चुकी है। एसबीआई के सेवानिवृत्त प्रबंधक राकेश कुमार जैन के साथ सीबीआई के नकली अधिकारी बनकर ठगी की थी। डिजिटल अरेस्ट और धमकी देकर 50 लाख रुपये ठगों ने अपने खाते में जमा कर लिए थे। पुलिस की जांच अभी जारी है।

व्यापारी से भी हो चुकी दो करोड़ रुपये की ठगी

आठ अप्रैल को उज्जैन के ही एक कारोबारी चरणजीत के साथ भी इसी तरह की वारदात हो चुकी है। उसे धोखाधड़ी के केस में फंसाने की धमकी देकर नकली सीबीआइ अधिकारी बन कुछ लोग ने ठगा था। डिजिटल अरेस्ट के झांसे में लेकर 2 करोड़ रुपये ठगों ने अपने खाते में जमा करा लिए थे। इसकी भी जांच जारी है।

क्या होता है डिजिटल अरेस्ट

डिजिटल अरेस्ट एक तरह की साइबर ठगी है, जिसमें अपराधी लोगों को बंधक बनाकर उनसे धोखाधड़ी की जाती है। डिजिटल अरेस्ट में साइबर ठग खुद को पुलिस, सीबीआई, कस्टम या किसी अन्य एजेंसी का बड़ा अधिकारी बताकर पीड़ित से वीडियो कॉल पर बात करते हैं। इसके बाद वे पीड़ित को ऑनलाइन बंधक बनाकर धमकी देते हैं और उनसे पैसे ऐंठ लेते हैं। पीड़ित मानसिक और डिजिटल रूप से किसी और के काबू में होता है।

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