छत्तीसगढ

मूलभूत सुविधा की मांग को लेकर पंडो आदिवासियों ने चक्का जाम कर किया अनोखा प्रदर्शन

कोरबा। पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड के ग्राम पंचायत बिंझरा के आश्रित ग्राम तिरखुट्टी के पंडो आदिवासियों ने बिजली पानी सड़क जैसे मूलभूत सुविधा की मांग को लेकर बिंझरा चौक में चक्का जाम कर दिया है। कटघोरा से पेंड्रा रोड मार्ग में सुबह 11बजे से आवागमन बंद होेने से वाहनों की कतार लग गई है। प्रदर्शनकारियों को कहना है जब तक कलेक्टर आकर आश्वासन नहीं देंगे तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा।

निरधी के ग्रामीणों का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति बीमार हो जाए तो 10 किलोमीटर खाट पर लिटाकर उसे मुख्य सड़क तक लाना पड़ता है। जिसके बाद ही उसे एंबुलेंस मिलता है। तब जाकर जाना बचती है। कई बार मरीजों की जान तक चली जाती है। भारी संख्या में पहुंचे ग्रामीणों में भारी आक्रोश देखा जा रहा है। ग्रामीणों के अनुसार उन्होंने कई बार जिला प्रशासन को पत्र देकर समस्या से अवगत कराया है लेकिन अब तक अनसुनी की जाती रही है। थकहार कर ग्रामीणों प्रदर्शन की राह अपनाना पड़ा है।

चक्का जाम की सूचना मिलते ही कटघोरा व पाली पुलिस के साथ तहसीलदार विनय देवांगन भी मौके पर पहुंचे। उन्होने ग्रामीणों को समझाइस देने का प्रयास किया लेकिन ग्रामीण नहीं माने। देर रात शाम तक चक्का जाम कर रहे ग्रामीणों ने निर्णय लिया है कि प्रदर्शन स्थल पर ही भोजन पका कर खाएंगे। समाचार लिखे जाने तक ग्रामीणों का प्रदर्शन जारी था।

गांव का स्कूल भवन है जर्जर

तिरखुट्टी निवासी कलावती ने बताया कि गांव में शिक्षा सुविधा के नाम पर प्राथिमक शाला संचालित है। भवन के अभाव में कक्षा का संचालन वैकल्पिक कच्ची मकान में हो रहा है। ग्रामीण संतोष पंडो ने बताया कि हमारे बच्चे जंगलों के रास्ते बिंझरा के सरकारी आश्रम में पढ़ने जाते हैं। आवागमन सुविधा के अभाव में बच्चे मिडिल स्कूल की पढ़ाई से वंचित हैं। स्थानीय लोग आज भी ढोंढी व तालाब का पानी पीकर गुजारा करते हैं। बिंझरा और तिरखुट्टी के बीच में नाला होने के कारण वर्षा के दौरान आवागमन बंद हो जाता है।

रेल कारिडोर के लिए तोड़ दी पक्की सड़क

ग्रामीणो ने बताया रेल कारिडोर प्रभावित ग्रामों में ग्राम पंचायत बिंझरा का नाम भी शामिल है। बिंझरा से डोंगर तराई होते हुए कटघोरा मार्ग को जोड़ने के लिए बायपास पीएम सड़क का निर्माण किया गया है। रेल कारिडोर का काम शुरू होने से पहले ही सड़क डेढ़ किलोमीटर तक तोड़ दिया गया है। इस बात को लेकर भी ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है। ग्रामीणों का कहना है रेलकारिडोर के नाम पर जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया अधिसूचना के पहले ही की जा रही है।

 

 

 

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