मध्यप्रदेश

मंत्री कृष्णा गौर के बेटे से 3.20 लाख की साइबर ठगी…

भोपाल : प्रदेश की पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक विभाग की राज्य मंत्री कृष्णा गौर के बेटे आकाश गौर से साइबर ठगी हुई है। यह ठगी महिंद्रा कंपनी में लेबर सप्लाई का ठेका दिलाने के नाम पर हुई है। पुलिस ने इस मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। वहीं ठगी का सरगना फरार है।

बताया जा रहा है कि स्वामी दयानंद नगर निवासी आकाश गौर और उनके कुछ दोस्तों के पास 20 मार्च को राकेश यादव नामक व्यक्ति का फोन आया था। उसने खुद को महिंद्रा कंपनी का प्रतिनिधि बताया और कंपनी में लेबर सप्लाई का ठेका दिलाने की बात कही थी। इसके लिए उसने टेंडर की एंट्री फीस के रूप में तीन लाख 20 हजार रुपये वसूले थे।

कियोस्क संचालक के खाते में डलवाए पैसे

शातिर ठग ने ठगी के रुपयों के लेनदेन के लिए मुंबई के वडाला स्थित एक कियोस्क संचालक सैफ अली के बैंक खाते का उपयोग किया था। उसने कियोस्क संचालक को मेडिकल इमरजेंसी का बहाना बताकर उसके खाते में ठगी की राशि डलवाई और उससे कैश लिया था। इसके लिए उसने कियोस्क संचालक को दो प्रतिशत कमीशन दिया था।

कियोस्क संचालक को किया गुमराह

उसने कियोस्क संचालक को बताया था कि यदि अस्पताल में ऑनलाइन के बजाय कैश के रूप में भुगतान करते हैं तो तीन लाख रुपये का फायदा हो जाएगा। ठगी का संदेह होते ही आकाश ने इसकी शिकायत साइबर क्राइम के नेशनल पोर्टल पर की थी, जिसके बाद भोपाल साइबर क्राइम पुलिस ने कार्रवाई करते हुए कियोस्क संचालक के बैंक खाते को फ्रीज करा दिया।

कियोस्क संचालक को मुंबई से गिरफ्तार

आरोपित कियोस्क संचालक ने साइबर क्राइम डीएसपी की फर्जी ई-मेल आइडी बनाकर बैंक खाते से प्रतिबंध हटवाने का प्रयास किया। बैंक ने संदेह होने पर पुलिस को इसकी सूचना दी, जिसके बाद भोपाल साइबर क्राइम पुलिस ने आरोपित कियोस्क संचालक को मुंबई से गिरफ्तार कर लिया है। वहीं इस ठगी करने वाला मुख्य आरोपित अब भी फरार है।

बैंक की सतर्कता से फंस गया आरोपित

क्राइम ब्रांच के मुताबिक ठग ने पूरी रकम पहले कियोस्क संचालक सैफ के बैंक ऑफ इंडिया के खाते में भिजवाई थी। इस खाते को फ्रीज करवाने से पहले ही सैफ ने इसे एक सहकारी बैंक के खाते में डाल दिया। पुलिस ने सहकारी बैंक के खाते को फ्रीज करवाने के लिए बैंक को ई-मेल किया। इसके लिए साइबर क्राइम पुलिस ने मेल आइडी [email protected] का उपयोग किया था।

उधर सैफ को खाता फ्रीज होने की जानकारी मिली तो उसने अनफ्रीज करने के लिए उससे मिलती-जुलती फर्जी ई-मेल आइडी बना डाली। उसने ई-मेल आइडी [email protected] से सहकारी बैंक को संबंधित खाता अनफ्रीज करने का संदेश भेजा। बैंक को नाम में कुछ फर्क दिखाई दिया तो पुलिस से संपर्क किया।

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