Sawan Shivratri 2024: शिवरात्रि व्रत में जरूरी है इन नियमों का पालन, वरना नहीं मिलेगा पूजा का फल!
Sawan Shivratri 2024: हिंदू धर्म में शिवरात्रि का खास महत्व माना जाता है. सभी भक्त शिवरात्रि के दिन भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए उपवास करते हैं और पूजा अर्चना करते हैं. मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन जो लोग विधि-विधान से भगवान शिव की आराधना करते है उनकी हर एक मनोकामना जरूर पूरी होती है. इस साल सावन माह में शिवरात्रि का पावन पर्व 2 अगस्त 2024, दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा. इस पावन अवसर पर जानते हैं भोलेनाथ की पूजा के प्रमुख नियम क्या हैं.
शिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा के प्रमुख नियम
- निस्वार्थ भक्ति
मान्यता के अनुसार, भगवान शिव निस्वार्थ और सच्चे मन से की गई भक्ति को ही महत्व देते हैं. उनकी पूजा साधना करते समय मन में कपट या अहंकार नहीं होना चाहिए, वरना पूजा का कोई फल प्राप्त नहीं होगा. पूर्ण श्रद्धा, विश्वास और समर्पण भाव के साथ पूजा करें.
- वस्त्रों के रंग
महाशिवरात्रि पर पूजा के लिए काले रंग के वस्त्र भूल से भी न पहनें. भोलेनाथ की पूजा के लिए सफेद, लाल, पीला, केसरिया, या आसमानी रंग के वस्त्रों को पहनें.
- सिले हुए वस्त्र
भोलेनाथ की पूजा करते समय अगर संभव हो तो सिले हुए वस्त्र न पहनें और पूजा करते समय कभी भी सीधे जमीन पर बैठकर पूजा न करें, बल्कि साफ सुथरे आसन पर बैठकर पूजा करें.
- दिशा का रखें ध्यान
अपना मुख हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर करके ही भोलेनाथ की पूजा करनी चाहिए.
- तांबे के पात्र का उपयोग
भगवान शिव को कभी भी तांबे के पात्र में दूध भरकर अर्पित न करें. दूध चढ़ाने के लिए हमेशा स्टील, पीतल या चांदी के पात्र का उपयोग करें.
- कलश में दूध न डालें
हर मंदिर में शिवलिंग के ऊपर एक कलश लगा होता है जिससे हर समय भोलेनाथ का अभिषेक होता रहता है. इस कलश में कभी भी दूध न डालें. इस कलश में केवल गंगाजल या शुद्ध जल ही डालना चाहिए.
- जल से अभिषेक
भक्तजन शिवलिंग का कई प्रकार की चीजों से अभिषेक करते हैं, जैसे दूध, दही, शहद आदि. ध्यान रखें, इन चीजों से अभिषेक करने के बाद शिवलिंग पर गंगाजल या शुद्ध जल अवश्य चढ़ाएं.
- बेलपत्र का वज्र भाग
भोलेनाथ को चढ़ाए जाने वाले बेलपत्र या शमी पत्र का वज्र भाग तोड़कर ही शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए. पत्तों की डंठल की ओर जो मोटा भाग होता है, वह वज्र कहलाता है.
- नारियल का जल
भगवान शिव पर नारियल चढ़ा सकते हैं, लेकिन भूलकर भी नारियल के जल से भोलेनाथ का अभिषेक न करें.
- फूलों का चयन
कुटज, नागकेसर, बंधूक, मालती, चंपा, चमेली, कुंद, जूही, केतकी, केवड़ा आदि फूल भगवान शिव की पूजा में वर्जित माने जाते हैं, इसलिए इन फूलों का उपयोग भोलेनाथ की पूजा में न करें.
- तुलसी
भोलेनाथ को तुलसी दल अर्पित नहीं किए जाते हैं, इसलिए शिवरात्रि की पूजा में तुलसी का उपयोग न करें.
- शंख से जलाभिषेक
भगवान शिव का शंख से जलाभिषेक नहीं करना चाहिए.
- खंडित चावल, हल्दी और कुमकुम
शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा में खंडित चावल का प्रयोग न करें. हल्दी और कुमकुम से भी शिवलिंग का तिलक न करें.
- स्पर्श किया हुआ भोग
मान्यताओं के अनुसार, शिवलिंग पर चढ़ाया गया या शिवलिंग को स्पर्श किया हुआ भोग ग्रहण नहीं किया जाता है, इसलिए शिवलिंग पर चढ़ी चीजों को प्रसाद के रूप में ग्रहण न करें.
- त्रिपुण्ड और भस्म
शिवरात्रि का व्रत और पूजन करने वाले साधक को अपने माथे पर लाल चंदन का त्रिपुण्ड और बाहों पर भस्म लगाना चाहिए.
- मंत्र जाप
भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए शिव साधक शिवरात्रि के दिन रुद्राक्ष की माला से ॐ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें.
- कीर्तन और जागरण
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की स्तुति करते हुए पूरी रात कीर्तन और जागरण करें.
- दिन में न सोएं
महाशिवरात्रि के पर्व पर दिन में सोना वर्जित माना जाता है इसलिए इस दिन, दिन में न सोएं. वृद्ध , बच्चे और बीमार व्यक्तियों के लिए यह नियम लागू नहीं होता है.
- शिवलिंग की परिक्रमा
शिवलिंग की पूजा के बाद आधी परिक्रमा करें और जल बहने वाली जलधारी को कभी भी पार न करें, बल्कि वहीं से वापस लौट जाएं.