छत्तीसगढ

रील और रियल लाइफ की तुलना, युवाओं पर मानसिक तनाव का बढ़ता खतरा

बिलासपुर। आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया का प्रभाव जीवन के हर पहलू में दिखाई देता है, खासकर युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर इसका गहरा असर पड़ रहा है। रील लाइफ और रियल लाइफ की तुलना से युवा अपने आत्मसम्मान और मानसिक संतुलन को खोने लगे हैं।

सामाजिक दिखावे का बढ़ता प्रभाव

बिलासपुर में साइकोलॉजिस्ट डॉ. गामिनी वर्मा बताती हैं कि सोशल मीडिया के चलते बच्चों और युवाओं में सामाजिक दिखावे की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि जिला अस्पताल में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहाँ बच्चे अपने माता-पिता से अनावश्यक वस्तुओं की मांग करते हुए खाना-पीना छोड़ देते हैं। अभिभावक, बच्चों की इस ज़िद के आगे मजबूर होकर उनकी मांगें पूरी कर रहे हैं। डॉ. वर्मा का कहना है कि ऐसा करने से बच्चों में यह विश्वास पनपता है कि उनकी हर मांग पूरी होगी, जो भविष्य में उनके व्यवहार में नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों की हर मांग को पूरा करने की बजाय उन्हें सही और गलत का महत्व समझाएं।मानसिक तनाव का कारण बन रही लाइक्स की होड़

आत्मसम्मान और मानसिक संतुलन पर प्रभाव

रील लाइफ की तुलना से युवाओं का आत्मसम्मान लगातार प्रभावित हो रहा है। सोशल मीडिया की दुनिया में परफेक्ट दिखने की होड़ में जब उनकी पोस्ट्स को वांछित प्रतिक्रिया नहीं मिलती, तो वे निराश हो जाते हैं। इसका सीधा असर उनकी मानसिक स्थिति पर पड़ता है, जिससे वे और ज्यादा सोशल मीडिया पर सक्रिय हो जाते हैं और इस चक्रव्यूह से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि इस समस्या से निपटने के लिए अभिभावकों और शिक्षकों को मिलकर युवाओं को वास्तविक जीवन के महत्व का एहसास कराना चाहिए।

लाइक्स न मिलने की चिंता

सोशल मीडिया पर लगातार पोस्ट करना और उन पर मिलने वाले लाइक्स की संख्या को लेकर चिंता करना आज युवाओं के बीच मानसिक तनाव का प्रमुख कारण बन चुका है। मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. अनिल यादव के अनुसार, खासकर टीनएजर्स इस दौर में पहचान और स्वीकृति की तलाश में होते हैं, और जब उनकी पोस्ट्स को उम्मीद के मुताबिक प्रतिक्रिया नहीं मिलती, तो वे खुद को दूसरों से कमतर महसूस करने लगते हैं। यह प्रवृत्ति धीरे-धीरे उनके आत्मसम्मान पर गहरा असर डालती है।

सोशल मीडिया का दुरुपयोग

सोशल मीडिया का दुरुपयोग केवल ट्रोलिंग के रूप में ही नहीं हो रहा है। एक बड़ी समस्या यह है कि सोशल मीडिया के जरिए वैमनस्य के साथ झूठी खबरें फैलाने का काम भी किया जा रहा है। कई बार तो यह काम सुनियोजित तरीके से किया जाता है और इसी क्रम में जनमत को भी प्रभावित करने की कोशिश की जाती है।

 

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