छत्तीसगढ

दक्षिण उपचुनाव जीत के बाद भाजपा ने निकाय चुनाव की तैयारियां तेज की, जातीय संतुलन पर दिया जोर…

रायपुर। रायपुर दक्षिण विधानसभा उपचुनाव में शानदार जीत दर्ज करने के बाद भाजपा ने अपनी पूरी ताकत अब निकाय और पंचायत चुनावों में झोंकने की तैयारी कर ली है। प्रदेश भाजपा संगठन में चुनाव प्रक्रिया शुरू होने वाली है, जिसके तहत पहले चरण में बूथ कमेटियों का गठन किया जाएगा। इसके बाद मंडल और जिला अध्यक्षों का चुनाव होगा, जिसमें जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए रणनीति बनाई जाएगी।

405 मंडलों में होंगे चुनाव, नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने की कवायद

एक से 15 दिसंबर के बीच प्रदेश के 405 मंडलों में मंडल अध्यक्षों का चुनाव होगा, जबकि 15 से 30 दिसंबर के बीच जिला अध्यक्षों का चयन किया जाएगा। संगठन से जुड़े वरिष्ठ नेताओं ने बताया कि इस प्रक्रिया में न केवल अध्यक्ष बल्कि प्रतिनिधियों का भी चुनाव किया जाएगा। खासतौर पर नाराज कार्यकर्ताओं को फिर से पार्टी के साथ जोड़ने और उनकी समस्याओं का समाधान करने पर जोर दिया जाएगा।

जातीय समीकरणों पर फोकस रहेगा ताकि विभिन्न समुदायों के बीच संतुलन कायम किया जा सके और निकाय चुनावों में किसी भी प्रकार की असंतोष की स्थिति से बचा जा सके। भाजपा की रणनीति स्पष्ट है: निकाय और पंचायत चुनावों में भी जीत का परचम लहराना है।

सदस्यता अभियान में रिकॉर्ड वृद्धि

भाजपा ने अपने हालिया सदस्यता अभियान में 53 लाख नए सदस्य जोड़ने का दावा किया है। अब 30 नवंबर तक बूथ कमेटियों का चुनाव पूरा करने की तैयारी है। पार्टी नेताओं ने वरिष्ठ नेताओं से मुलाकातें तेज कर दी हैं, ताकि चुनावी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा सके।

कांग्रेस भी बदलाव की तैयारी में

रायपुर दक्षिण उपचुनाव में हार के बाद कांग्रेस में भी हलचल तेज हो गई है। पार्टी अब समीक्षा से आगे बढ़कर बड़े बदलावों की तैयारी कर रही है। दिल्ली से आने वाली सूची का इंतजार है, जिसमें संगठनात्मक फेरबदल के संकेत मिल रहे हैं। उपचुनाव में हार ने कांग्रेस को मजबूर कर दिया है कि वह जमीनी स्तर पर रणनीति को नए सिरे से तैयार करे।

भाजपा-कांग्रेस में सीधा मुकाबला

निकाय और पंचायत चुनावों में दोनों दलों के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिलेगा। जहां भाजपा जीत के लिए जातीय संतुलन और संगठनात्मक मजबूती पर फोकस कर रही है, वहीं कांग्रेस अपनी हार से सबक लेकर रणनीति में बदलाव लाने की कोशिश कर रही है। आने वाले चुनावी नतीजे यह तय करेंगे कि जनता का भरोसा किस दल पर कायम रहता है।

 

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