चंडीगढ़: किरण चौधरी को बीजेपी ने राज्यसभा उम्मीदवार बनाने का ऐलान किया है. इससे पहले किरण चौधरी ने विधायक पद से इस्तीफा दिया था. जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने उनका इस्तीफा मंजूर कर दिया. बता दें कि किरण चौधरी साल 2019 में कांग्रेस की टिकट पर तोशाम विधानसभा सीट से विधायक चुनी गई थी, लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद वो अपनी बेटी श्रुति चौधरी और हजारों समर्थकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गई.
अब उनको बीजेपी ने राज्यसभा उम्मीदवार बनाया है. बता दें कि हरियाणा में 3 सितंबर को राज्यसभा की एक सीट के लिए वोटिंग होनी है. 21 अगस्त तक नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख है.
विधानसभा का राजनीतिक समीकरण: हरियाणा विधानसभा के राजनीतिक समीकरण की बात की जाए तो बीजेपी के पास 41 विधायक हैं. वहीं उसे हलोपा के 1 और निर्दलीय 1 विधायक का सीधा समर्थन है. ऐसे में बीजेपी के पास 43 नंबर हो जाते हैं. वहीं विपक्षी पार्टियों के कई विधायक बीजेपी के पक्ष में क्रॉस वोटिंग कर सकते हैं. इसके चलते बीजेपी के उम्मीदवार की राज्यसभा सीट पक्की नज़र आ रही है. वहीं विपक्ष में कांग्रेस के पास 28 विधायक, जेजेपी के पास 10, इनेलो के पास 1 और 4 निर्दलीय विधायक हैं.
किरण चौधरी कौन हैं? किरण चौधरी की गिनती हरियाणा के बड़े नेताओं में होती है. वो भिवानी जिले की तोशाम विधानसभा क्षेत्र से विधायक थीं. किरण हरियाणा के तीन बार के मुख्यमंत्री रहे चौधरी बंसीलाल की बहू हैं. उनके साथ उनकी बेटी श्रुति चौधरी भी राजनीति में सक्रिय हैं. श्रुति भिवानी-महेंद्रगढ़ से 2009 में कांग्रेस के टिकट पर जीतकर सांसद बनी थीं.
किरण चौधरी की शादी हरियाणा के पूर्व सीएम स्वर्गीय बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र सिंह के साथ हुई थी. पति की मौत के बाद वो हरियाणा की राजनीति में सक्रिय हुई. किरण चौधरी तोशाम विधानसभा सीट से चार बार विधायक चुनी गई है. भिवानी महेंद्रगढ़ लोकसभा में आने वाली पांच से छह सीटों पर बंसीलाल के परिवार का प्रभाव माना जाता है. बता दें कि किरण चौधरी का जन्म उत्तर प्रदेश में हुआ था. वो हरियाणा के झज्जर जिले के गोछी गांव की रहने वाले ब्रिग्रेडियर आत्मा सिंह अहलावत की बेटी हैं.
किरण चौधरी ने 1993 में दिल्ली कैंट से पहली बार राजनीति में किस्मत आजमाई थी. तब उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 1998 में जीतकर वो 2003 तक दिल्ली विधानसभा की उपाध्यक्ष रहीं. 2004 में किरण चौधरी राज्य सभा के लिए खड़ी हुई. जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा. वो 2004 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार में हरियाणा की कैबिनेट मंत्री बनी. इसके बाद जब 2014 में पार्टी हार गई, तब उन्हें विधायक दल का नेता चुना गया.