Chhatrapati Shivaji Maharaj: भारतीय सेना ने स्थापित की छत्रपति शिवाजी की मूर्ति, मूर्ति स्थापित कर दिया शांति और वीरता का संदेश”
भारतीय सेना की यह पहल भारतीय इतिहास और संस्कृति से जुड़ी एक महत्वपूर्ण कड़ी है। पैंगोंग झील के किनारे छत्रपति शिवाजी की मूर्ति की स्थापना न केवल ऐतिहासिक धरोहर को सम्मानित करने का प्रयास है, बल्कि यह भारतीय सेना के साहस और संकल्प को भी प्रदर्शित करती है
INDIAN ARMY: भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में 14,300 फीट की ऊंचाई पर स्थित पैंगोंग झील के किनारे छत्रपति शिवाजी की एक भव्य मूर्ति स्थापित की है। यह स्थान वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के नजदीक है, जहां भारत और चीन के बीच तनाव लंबे समय से बना हुआ था। इस पहल का मुख्य उद्देश्य छत्रपति शिवाजी के साहस, सैन्य कुशलता और ऐतिहासिक धरोहर को सम्मानित करना है।
मूर्ति का अनावरण और सेना का संदेश
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस मूर्ति का अनावरण 14 कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (GOC) लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला ने किया। इस दौरान, “फायर एंड फ्यूरी कोर” के नाम से प्रसिद्ध 14 कोर के अधिकारियों ने शिवाजी की रणनीतिक कुशलता और नेतृत्व को श्रद्धांजलि अर्पित की। भारतीय सेना का यह कदम आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करने का उद्देश्य है, जिससे छत्रपति शिवाजी के विचारों और उनकी वीरता को जन-जन तक पहुंचाया जा सके।
भारत-चीन सीमा तनाव के बीच महत्वपूर्ण कदम
छत्रपति शिवाजी की मूर्ति का उद्घाटन उस समय हुआ है जब भारत और चीन के बीच डेमचोक और देपसांग के दो बिंदुओं से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इस कदम को चार साल से जारी सीमा विवाद के समाधान की दिशा में एक अहम प्रगति के रूप में देखा जा रहा है। मूर्ति की स्थापना और सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया दोनों ही घटनाएं भारत और चीन के बीच सीमा पर शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के संकेत हैं।
पैंगोंग झील क्षेत्र में सीमा विवाद
2020 में पैंगोंग झील क्षेत्र में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद शुरू हुआ था, जिससे इस स्थान का सामरिक महत्व बढ़ गया। दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने के बाद, 21 अक्टूबर को एक समझौते के तहत सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की गई। इसके परिणामस्वरूप दोनों देशों के बीच तनाव में कमी आई और शांति की दिशा में कदम बढ़े। छत्रपति शिवाजी की मूर्ति की स्थापना भारतीय सेना के संकल्प और छत्रपति शिवाजी की प्रेरणा को दर्शाती है।
छत्रपति शिवाजी की सैन्य रणनीति और प्रभाव
भारतीय सेना ने इस मूर्ति के माध्यम से छत्रपति शिवाजी की ऐतिहासिक धरोहर को सम्मानित किया है, साथ ही उनकी सैन्य रणनीतियों और अदम्य साहस को आज के सैन्य क्षेत्र में समाहित करने का प्रयास किया है। शिवाजी की रणनीतिक कुशलता और नेतृत्व क्षमता ने उन्हें भारतीय इतिहास में एक महान योद्धा के रूप में स्थापित किया है। उनके सैन्य कार्यों और उनके नेतृत्व ने भारतीय साम्राज्य को मजबूती दी, और उनका नाम आज भी सैन्य विशेषज्ञों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है।
आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा
भारतीय सेना का मानना है कि इस मूर्ति के माध्यम से छत्रपति शिवाजी के विचारों और देशभक्ति को आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्थायी प्रेरणा के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। यह मूर्ति न केवल शिवाजी के इतिहास को जीवित रखेगी, बल्कि भारतीय सेना के वीरता और समर्पण का प्रतीक भी बनेगी। आने वाले समय में यह स्थान सैन्य दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रहेगा और भारतीय सेना के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बनकर उभरेगा।
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