“अभ्यर्थियों के विरोध के बीच MPPSC को हाईकोर्ट का आदेश, अब Marks और Cutoff के साथ जारी करना होगा Result”
इंदौर। प्राप्तांक और कटऑफ छिपाकर परिणाम जारी करने वाले मध्य प्रदेश लोकसेवा आयोग (एपीपीएससी) को उच्च न्यायालय ने झटका दिया है। उसने आयोग को आदेश दिया है कि वह सहायक प्राध्यापक चयन परीक्षा-2022 का पूरा परिणाम घोषित करे, जिसमें प्राप्तांक से लेकर कटऑफ तक भी सार्वजनिक हो।
अनुसूचित जनजाति श्रेणी के एक अभ्यर्थी की याचिका पर न्यायालय ने यह निर्देश दिया है। पीएससी की चयन प्रक्रिया से लेकर नतीजों पर पारदर्शिता को लेकर बीते दिनों से लगातार सवाल उठ रहे हैं।
उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने सहायक प्राध्यापक परीक्षा में शामिल एक अभ्यर्थी दिनेश अड की याचिका पर शुक्रवार को यह निर्णय दिया। याचिकाकर्ता के वकील आशीष चौबे के अनुसार अभ्यर्थी अनुसूचित जनजाति श्रेणी से है। वह सहायक प्राध्यापक परीक्षा (राजनीति विज्ञान) में शामिल हुआ था।
परिणाम में नहीं जारी किए प्राप्तांक
पीएससी ने 14 नवंबर को परिणाम जारी किए तो सिर्फ रोल नंबर लिखे। न तो सफल उम्मीदवारों के प्राप्तांकों को घोषित किया और न ही श्रेणीवार कटऑफ घोषित किए। कई उम्मीदवार शिकायत कर रहे थे कि उनके ज्यादा अंक होने के बाद भी वे दौड़ से बाहर कर दिए गए जबकि कम अंक वाले सफल घोषित हुए।
MPPSC ने प्राप्तांक और कटऑफ बताने से किया इनकार
आयोग से प्राप्तांक और कटऑफ की जानकारी मांगी जा रही है तो सूचना के अधिकार में भी देने से इन्कार किया जा रहा है। इसके बाद उच्च न्यायालय की शरण ली थी। अभिभाषक चौबे के अनुसार कोर्ट में एमपीपीएससी ने तर्क दिया कि गोपनीयता के चलते प्राप्तांक और कटऑफ बताना संभव नहीं है।
परिणाम और प्राप्तांक गोपनीयता का विषय नहीं
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि पूर्व में तमाम परीक्षाओं में प्राप्तांक और कटऑफ जारी किए जाते रहे हैं। यूं भी परिणाम और प्राप्तांक गोपनीयता का विषय नहीं हो सकते। कोर्ट ने एमपीपीएससी की दलील खारिज करते हुए निर्देश दिया है कि आयोग श्रेणीवार कटऑफ के साथ उम्मीदवारों के प्राप्तांक समेत पूरा परिणाम जारी करे। अगली सुनवाई 20 जनवरी को निर्धारित की गई है।
संदेह में प्रक्रिया
मप्र लोकसेवा आयोग द्वारा आयोजित सहायक प्राध्यापक परीक्षा के परिणाम लगातार संदेह के घेरे में हैं। नियमानुसार पीएससी को इंटरव्यू के अंतिम दौर के लिए विज्ञापित पदों के मुकाबले तीन गुना उम्मीदवारों को चयनित करना था। पीएससी ने कई विषयों में कम उम्मीदवारों को चुना और दलील दी कि योग्य उम्मीदवार तय संख्या में मिले ही नहीं।
साथ ही प्रश्नपत्रों में भी त्रुटियां बताते हुए कई प्रश्न निरस्त कर दिए गए। और तो और, बिना सेट का परिणाम जांचे कई उम्मीदवारों को इंटरव्यू के लिए भी पात्र घोषित किया गया। अब ताजा आदेश से अन्य विषयों में भी आयोग को पूरा परिणाम जारी करना पड़ सकता है।