दिल्ली दंगा फसाद के 14 साल पुराने केस में कांग्रेस के पूर्व विधायक समेत सात आरोपी बरी, जानें पूरा मामला
नई दिल्ली: दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 2010 में दंगा फसाद और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में कांग्रेस के पूर्व विधायक आसिफ मोहम्मद खान समेत सात आरोपियों को बरी कर दिया है. एडिशनल चीफ जुडिशियल मजिस्ट्रेट तान्या बामनियाल ने सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है.
जामिया नगर थाने में नारेबाजी: कोर्ट ने आसिफ मोहम्मद खान के अलावा जिन आरोपियों को बरी करने का आदेश दिया उनमें अकील अहमद, जावेद निसार खान, मुकरम आगा ऊर्फ मिक्की, नवाब अहमद, सिराज और वहाब शामिल हैं. इन आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 149, 186, 353, 332, 427 और प्रिवेंशन ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रोपर्टी की धारा 3 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी. घटना 14 मार्च 2010 की है, जब ओखला के तत्कालीन विधायक आसिफ मोहम्मद खान रात में करीब दस बजकर 45 मिनट पर अपने डेढ़-दो सौ समर्थकों के साथ जामिया नगर थाने पहुंचे और तत्कालीन राज्यसभा सदस्य परवेज हाशमी के खिलाफ नारे लगाने लगे.
पत्थरबाजी की घटना: आसिफ मोहम्मद खान अपने तीन-चार समर्थकों के साथ थाने के अंदर घुस गए. एफआईआर दर्ज कर आरोपियों की गिरफ्तार की मांग की. जब उनकी शिकायत लिखी जा रही थी तब करीब 11 बजकर 20 मिनट पर परवेज हाशमी अपने कुछ समर्थकों के साथ पहुंचे. परवेज हाशमी को देखते ही आसिफ मोहम्मद के समर्थकों ने थाने के दीवार पर पत्थर फेंकना शुरु कर दिया. जब स्थिति पुलिस के नियंत्रण से बाहर हो गई तो माईक से चेतावनी दी गई कि ये कानून के खिलाफ हो रहा है, लेकिन भीड़ ने एक नहीं सुनी.
आरोपियों को संदेह का मिला लाभ: पत्थर फेंकने की वजह से कांस्टेबल ओमप्रकाश और हेड कांस्टेबल प्रकाश चंद को चोटें आई. पत्थरबाजी में आसिफ मोहम्मद खान और परवेज हाशमी के वाहन क्षतिग्रस्त हो गए. कोर्ट ने इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से 23 गवाहों के बयान दर्ज किए थे. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों को संदेह से परे उन्हें दोषी साबित करने में विफल रहा है, इसलिए आरोपी संदेह का लाभ पाने के हकदार हैं. कोर्ट ने सभी सातों आरोपियों को बरी करने का आदेश दिया.