छत्तीसगढ

तेजी से पैर पसारते इस डिजिटल युग में डाटा है खरे सोने से भी कीमती

बिलासपुर। आज का युग तकनीक और नवाचार का है और इंजीनियरिंग क्षेत्र में लगातार बदलाव और उन्नति हो रही है। इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम के डिस्ट्रिक्ट मैनेजर इंजीनियर श्याम मोहन दुबे बताते है कि मौजूदा समय में डाटा एक्सपर्ट्स और इससे सम्बंधित विषयों के जानकारों की बेहद कमी है। वह कहते है कि आज का पूरा डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर डाटा के दम पर टिका हुआ है।

अपने फील्ड का उदाहरण देते हुए वह बताते है कि कोरोनाकाल में हर व्यक्ति को कोरोना हुआ। लेकिन डाटा के माध्यम से हमें ये समझने में मदद मिली कि यह किस आयु वर्ग के लोगो को सबसे अधिक प्रभावित करता है, किन किन बीमारी से ग्रसित व्यक्तियों पर इसका प्रभाव सबसे गंभीर है।

डाटा एनालिसिस से मौजूद इस जानकारी के माध्यम से आमजन को लाभ मिला साथ सरकार को निति निर्धारण में भी फायदा पंहुचा। इंजीनियरिंग के छात्रों का ध्यान अब परंपरागत शाखाओं से हटकर कंप्यूटर साइंस, डेटा साइंस, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग जैसी डिजिटल और सॉफ्टवेयर आधारित शाखाओं की ओर बढ़ रहा है। इन क्षेत्रों में न केवल कैरियर की संभावनाएं बढ़ी हैं, बल्कि उच्च वेतनमान पर अच्छी नौकरियों के अवसर भी मौजूद हैं।

भविष्य की ओर बढ़ता डिजिटल युग

दुबे बताते हैं कि देश में बड़े स्तर पर डिजिटल इंडिया अभियान के तहत बड़े पैमाने पर डेटा एनालिस्ट्स और डेटा साइंटिस्ट्स की आवश्यकता है। डेटा साइंस और डिजिटल इंजीनियरिंग के बिना भविष्य की कल्पना करना असंभव है। विभिन्न प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थानों जैसे आईआईटी और एनआईटी ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, क्लाउड कम्प्यूटिंग, ब्लॉकचेन और साइबर सिक्योरिटी जैसे उभरते हुए क्षेत्रों में कोर्सेज की शुरुआत कर दी है।

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