अंचल में तिजहारिन द्वारा त्योहार को लेकर उत्साह है। सुहागिन तीज मनाने के लिए अपने मायके आ चुकी हैं। जिन महिलाओं का मायके आना संभव नही हो सका है, उनके द्वारा अपने ससुराल मे ही रहकर इस उत्सव को धूमधाम से मनाने की योजना बना ली गई है। पखवाड़े भर से बाजार मे रौनक बनी हुई है। बुधवार को भी खरीदारी के लिए भीड़ उमड़ी रही। प्रमुख रूप से श्रीराम क्लाथ मार्केट, पुराना बस स्टैंड, गोल बाजार, भक्त कंवर राम मार्केट, सदर बाजार, शनिचरी में चहल-पहल अधिक रही।
परंपरानुसार गुरुवार रात को करू भात के साथ उपवास प्रारंभ करेंगी। मान्यता है कि कड़वे और मीठे का अनुभव सहते हुए बेटी अपने ससुराल में सुखी जीवन व्यतीत करे। इस पर्व मे सुहागिन 36 घंटे का निर्जला व्रत रखेंगी, उसके बाद दूसरे दिन शुक्रवार शाम को एक स्थान पर एकत्र होकर परिवार की अन्य महिलाओं के साथ शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना करेंगी।
सोलह श्रृंगार व मायके की साड़ी
ऐसी मान्यता है कि तीजा पर्व में महिलाएं सोलह श्रृंगार करके मायके की साड़ी पहनती हैं। सोलह श्रृंगार में बन संवरकर शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। मायका पक्ष बेटियों के स्वागत में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते। बेटियां भी पूरे उत्साह के साथ अपने परिवार से मिलती हैं। गांव में खासकर अपनी सहेलियों और स्वजनों के जाकर मेल-मिलाप करती हैं।
ठेठरी, खुर्मी व गुजिया
सोहारी पर्व पर घरों में अनेक प्रकार के छत्तीसगढ़ व्यंजन ठेठरी, खुर्मी, गुजिया-सोहारी आदि नमकीन एवं मीठे पकवान बनाए जा रहे हैं। सुहागिनों का बसों एवं निजी वाहनों से मायके पहुंचने का सिलसिला जारी है। बिलासपुर में ज्यादातर ट्रेनें अभी रद होने के कारण बसों में महिलाओं एवं बच्चों की भीड़ है।
करेला 80 रुपये प्रतिकिलो भाव बिका
करू भात खाकर तीज व्रत रखने की परंपरा के चलते सब्जी मार्केट में करेले के दाम से ही मुंह का स्वाद कड़वा हो गया है। आम दिनों में 30 से 40 रुपये किलो बिकने वाला करेला बुधवार को 80 रुपये के भाव से बिका। मंहगे दाम के बावजूद लोग इन्हें खरीदते नजर आए, जिसकी सब्जी खाकर महिलाएं कल से उपवास रखेंगी।
तीज पर्व पर पूजन सामग्री
शिव मंदिर के पुजारी पंडित वासुदेव शर्मा का कहना है कि, हरतालिका तीज की पूजन सामग्री हरतालिका व्रत के पहले ही पूजा की सामग्री जुटा लें। गीली मिट्टी, बेल पत्र शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल और फूल, अकांव का फूल, तुलसी, मंजरी, जनेउ, वस्त्र, मौसमी फल फूल, नारियल, कलश, अबीर, चंदन, घी, कपूर, कुमकुम, दीपक, दही, चीनी, दूध और शहद आदि की आवश्यकता होती है।