चिटफंड कंपनी धोखाधड़ी से पीड़ित 1.14 लाख आवेदकों को अब भी रुपये मिलने का इंतजार
बिलासपुर। जिले के पांच ब्लाक में चिडफंड कंपनियों ने लगभग 2 लाख से अधिक लोगों को रुपये दुगने व तीन गुने कर लौटाने का झांसा देकर बीएन गोल्ड कंपनी, गोल्ड इंफ्रावेंचर लिमिटेड, कैरियर ड्रीम एजुकेशन एकेडमी आइसेक्ट व बीएनजी ग्लोबल कंपनी समेत अन्य कंपनियों ने 292 करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी की है।
एक लाख पर केवल एक हजार रुपये तक दिया गया मुआवजा
चिटफंड में धोखाधड़ी का शिकार हुए लोगों को तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार ने ठगी के रुपये लौटाने का वादा किया था। इसके लिए कानून भी बनाया गया। जिन कंपनियों से वसूली कर यह रुपए लौटाने थे, उनकी संपत्ति कुर्की की प्रक्रिया धीमी होने से रुपये का वितरण सही तरीके से नहीं हो सका। पीड़ितों की मानें तो कुछ लोगों को शासन ने 1 लाख रुपये पर एक हजार रुपये लौटाए हैं। आगे संपत्ति कुर्की से मिलने वाली रकम का वितरण करने का आश्वासन दे रहे हैं।
जिले में चिटफंड के प्राप्त आवेदन
बिलासपुर शहर में आवेदन- 39,051, ठगी की रकम- 123 करोड़बिल्हा में आवेदन- 14,087, ठगी की रकम- 55.55 करोड मस्तूरी में आवेदन- 22,260, ठगी की रकम- 39.01 करोड तखतपुर में आवेदन- 19,400, ठगी की रकम- 46.42 करोडकोटा में आवेदन- 19,267, ठगी की रकम- 32 करोड रुपये
क्या कहना है आवेदकों का
-बिलासपुर सरकंडा निवासी राम खिलावन गौराहा ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2009 में चिड़फंड में रुपए दुगने करने के झांसे में आकर चार लाख रुपये इनवेस्ट किया था। अब तक शासन की ओर से लगभग एक हजार रुपये ही मिले हैं। बाकी रकम कब मिलेगी, यह शासन स्पष्ट नहीं कर रहा है।
-रतनपुर सेमरा निवासी भास्कर साहू ने बताया कि उन्होंने चिडफंड कंपनी पीएसएनएल, बीएन गोल्ड व अन्य कपनियों में लगभग 10 लाख का निवेश किया है। उन्हें अब तक रुपये नहीं मिले है। वर्ष 2008-09 में इंवेस्ट रकम अब वापस मिलेगी शासन इसे लेकर स्पष्ट जवाब नहीं दे रही है।
– मल्हार निवासी रामकुमार कैवर्त ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2009 व 2011 में चिटफंड में इंवेस्ट किया था। कंपनी ने उन्हें छह साल में डबल व नौ साल में तीन गुना रुपये लौटाने का झांसा देकर नौ लाख रुपये इनवेस्ट कराया था। रुपये मिलने की उम्मीद में वह अब भी सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं।
-गतौरा निवासी अशोक कुमार चंद्राकर ने बताया कि उन्होंने पांच लाख रुपये इंवेस्ट किया था। शासन ने बीएन गोल्ड कम्पनी की संपत्ति कुर्की की थी, लेकिन उन कुर्की से प्राप्त रकम को राजनांदगांव व अन्य जिलों में बांट दिया। बिलासपुर जिले के पीड़ितों को रकम वापसी का लाभ नहीं मिला।