‘सरकार अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में विफल’
रविवार को आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा, आज मुझ पर नरसंहार का आरोप लगाया जा रहा है। वास्तव में, यूनुस ने बहुत ही सोच-समझकर नरसंहार किया है। इस नरसंहार के पीछे मास्टरमाइंड – छात्र समन्वयक और यूनुस – हैं। हसीना ने कहा कि ढाका में मौजूदा सत्तारूढ़ सरकार अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में विफल रही है। ‘हिंदू, बौद्ध, ईसाई – किसी को भी नहीं बख्शा गया है। ग्यारह चर्चों को ध्वस्त कर दिया गया है, मंदिरों और बौद्ध तीर्थस्थलों को तोड़ दिया गया है। जब हिंदुओं ने विरोध किया, तो इस्कॉन नेता को गिरफ्तार कर लिया गया।
हिंसा रोकने के लिए मैंने देश छोड़ दिया- हसीना
शेख हसीना ने आगे कहा, अल्पसंख्यकों पर यह अत्याचार क्यों किया जा रहा है? उन्हें बेरहमी से क्यों सताया जा रहा है और उन पर हमला क्यों किया जा रहा है? लोगों को अब न्याय का अधिकार नहीं है… मुझे कभी इस्तीफा देने का समय भी नहीं मिला। शेख हसीना ने कहा कि उन्होंने हिंसा को रोकने के उद्देश्य से अगस्त में बांग्लादेश छोड़ दिया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बांग्लादेश के ‘विजय दिवस’ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में अपने भाषण में अवामी लीग नेता ने यह भी आरोप लगाया कि उनकी हत्या की साजिश रची जा रही है। उन्होंने कहा, जब लोग अंधाधुंध तरीके से मर रहे थे, तो मैंने फैसला किया कि मुझे देश छोड़ देना चाहिए।
बांग्लादेश में हिंदू-अल्पसंख्यकों पर हमलों की बाढ़
बता दें कि यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों में तनाव आ गया। वहीं पिछले कुछ महीनों में बांग्लादेश में हिंदू समुदाय सहित अल्पसंख्यकों पर हमलों की बाढ़ आ गई है। जुलाई और अगस्त में बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद बांग्लादेश छोड़ने के बाद से हसीना भारत में रह रही हैं।
भारत ने हमलों को लेकर जताई गंभीर चिंता
भारत ने पिछले सप्ताह कहा था कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए, क्योंकि उसने चरमपंथी बयानबाजी और हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की बढ़ती घटनाओं पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी। नई दिल्ली ने यह भी उम्मीद जताई कि देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार चिन्मय कृष्ण दास से संबंधित मामले को न्यायसंगत, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से निपटाया जाएगा।