गांव और जंगल के बीच खंदक खोदकर रोकेंगे हाथियों का प्रवेश
कोरबा: वनमंडल कटघोरा ने खंदक खोदकर हाथियों को ग्रामीण इलाकों से दूर करने का निर्णय लिया है। गांव और जंगल के बीच खोदे जाने वाले खंदकों को एलीफेंट प्रूफ ट्रैंच (ईपीटी) नाम दिया गया है। खंदक की चौड़ाई तीन मीटर गहराई डेढ़ मीटर होगी। वन विभाग के अनुसार हाथी खंदक को पार कर गांव नहीं पहुंच सकेंगे और जनधन की हानि रोकी जा सकेगी।
सर्वाधिक हाथी प्रभावित गांव परला व कापानवापारा से यह प्रयोग शुरू किया जाएगा। वन मंडलाधिकारी कुमार निशांत ने बताया कि इसके लिए शासन से प्रशासकीय स्वीकृति मांगी गई है। उनका कहना है कि यदि इन दो गांव में प्रयोग सफल रहा तो अन्य प्रभावित गांव में भी यह तरीका अपनाया जाएगा। स्वीकृति मिलते ही ईपीटी पर कार्य शुरू किया जाएगा। करीब पिछले तीन साल से केंदई व पसान रेंज में हाथी जमे हुए हैं। पहले हाथियों को आना जाना लगा रहता था पर लंबे समय से यहां विचरण कर रहे हैं। ऐसा माना जाना रहा कि हाथियाें ने इसे अपना स्थायी डेरा बना लिया है। यही वजह है कि हाथियों को खदेड़े जाने की जगह अब हाथियों के बीच ही ग्रामीणों को जीवन बसर के तरीके सिखाए जा रहे। साथ ही कुछ ऐसे उपाय किए जा रहे जिससे हाथी जंगल में ही एक निश्चित दायरे में रहें। हाथियों को उनका मनपसंद चारा गुंजा व कोमल बांस भी लगाए गए हैं। इन उपायों से काफी हद तक हाथी मानव द्वंद्व पर अंकुश लगाने की कोशिश की जा रही है।
वर्तमान में इस क्षेत्र में 45 हाथी विचरण कर रहे हैं। माह भर पहले केंदई वन परिक्षेत्र के ग्रामीणों ने हाथियों से जन सुरक्षा की मांग को लेकर चक्का जाम कर दिया था। प्रभावित किसान शासन से फसल हानि पर प्रति हेक्टेयर 22 हजार की जगह 50 हजार रुपये दिया जाए। खेतों में इन दिनों धान की फसल पकने के कगार पर है। हाथी जंगल छोड़ खेतों की ओर रूख कर रहे हैं।