छत्तीसगढ़ में धान खरीदी पर सरकार और विपक्ष में तीखी तकरार..
रायपुर। उपचुनाव और पंचायत-निकाय चुनाव से पहले एक बार फिर छत्तीसगढ़ में धान पर संग्राम छिड़ गया है। कांग्रेस ने प्रदेश में 160 लाख टन धान खरीदी के लक्ष्य को सियासी जुमला करार देते हुए धान खरीदी केंद्रों में अव्यवस्था का आरोप लगाया है। जबकि भाजपा सरकार के जिम्मेदार कह रहे हैं कि यह केवल सस्ती राजनीति और लोकप्रियता हासिल करने का शिगूफा है।
कांग्रेस के ये हथकंडे अब काम नहीं आने वाले हैं। राज्य निर्माण के बाद से धान खरीदी का मुद्दा सियासत का केंद्र बिंदु और सत्ता की सीढ़ी रहा है। अब छह महीने में होने वाले पंचायत-निकाय चुनाव से पहले कांग्रेस ने एक बार फिर धान खरीदी के मुद्दे को छेड़ दिया है।
राज्य निर्माण के बाद प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी और प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने 2003 के विधानसभा चुनाव में धान खरीदी पर समर्थन मूल्य के अतिरिक्त बोनस देने का वादा किया। हालांकि कांग्रेस चुनाव हार गई और भाजपा की सरकार बनी।
भाजपा के तत्कालीन मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने किसानों को केंद्र के समर्थन मूल्य के अलावा प्रति क्विंटल 270 रुपये बोनस दिया। यहीं से शुरू हुई धान की सियासत। प्रदेश में इस बार मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सरकार ने 14 नवंबर से 31 जनवरी 2025 तक धान खरीदी के लिए समय रखा है। साथ ही 160 लाख टन धान खरीदने का लक्ष्य है।
विधानसभा चुनाव 2023 में रहा बड़ा मुद्दा
विधानसभा चुनाव 2023 में धान खरीदी बड़ा मुद्दा रहा। कांग्रेस ने 32,00 रुपये प्रति क्विंटल कीमत देने का वादा किया था। साथ ही प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान खरीदी का वादा किया। इसके एवज में भाजपा ने कृषक उन्नत योजना चलाने की घोषणा करते हुए 21 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदी और 31,00 रुपये प्रति क्विंटल धान की कीमत देने का वादा किया। आखिरकार भाजपा ने विधानसभा की 90 सीटों में 54 सीटें हासिल करके विजेता रही और कांग्रेस को 34 सीटों पर सिमट गई। एक सीट गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के खाते में गई।
2008 के विधानसभा चुनाव में धान
इस चुनाव में भाजपा ने 270 से बढ़ाकर 300 रुपये बोनस की घोषणा की। भाजपा 50 सीटों से सत्ता में आई। हालांकि सत्ता के चार साल में एक भी रुपये बोनस नहीं दिया गया।
2013 के चुनाव में फिर धान का मुद्दा
इस चुनाव में भी भाजपा ने घोषणा पत्र में 2400 रुपये प्रति क्विंटल धान खरीदने का वादा किया। कांग्रेस ने 2000 रुपये की घोषणा की थी। धान के दम पर भाजपा की सरकार बनी।