बुरहानपुर में चायनीज मांझा का खतरा
बुरहानपुर। प्रतिबंधित चाइनीज मांझे से सोमवार दोपहर दो बाइक सवारों की गर्दन कट गई। इनमें से एक घायल की हालत गंभीर बनी हुई है। दोनों को शिकारपुरा थाने के पास स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
संजय पाटिल निवासी महल गुराड़ा है। वह अपने पिता सोपान पाटिल के साथ खेती से जुड़ा सामान लेने के लिए बुरहानपुर आया था। यहां से वापस लौटते समय दोपहर करीब 3.30 बजे राजपुरा गेट के पास अचानक चाइनीज मांझा गर्दन से लिपट गया, जिससे उसकी गर्दन कट गई। बाइक में पीछे बैठे सोपान पाटिल भी चोटिल हो गए हैं।
परिजन ने कहा कि चाइनीज मांझे पर कार्रवाई होनी चाहिए। इसके अलावा पंचवाटिका होटल के पास एक अन्य बाइक सवार की गर्दन भी मांझे से कटने की खबर है, लेकिन उसे किस अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इसका देर शाम तक पता नहीं चल सका था।
उल्लेखनीय है कि नायलोन के धागे से बनाए जाने वाले चाइनीज मांझे की बिक्री पर जिला प्रशासन ने कागजों में प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन असल में ये धड़ल्ले से बाजार में बेचे जा रहे हैं। जिला प्रशासन के अधिकारी मांझा बेचने वालों के यहां जांच तक करने नहीं पहुंचते। जनवरी में मकर संक्रांति से पहले जरूर जांच की औपचारिकता निभाई जाती है, लेकिन तब भी ठोस कार्रवाई नहीं होती। प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा शहर के आम नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है। वर्तमान में मकर संक्रांति से ज्यादा पतंगे बच्चे और युवा छतों से उड़ा रहे हैं। इनमें से अधिकांश चाइनीज मांझे का उपयोग करते हैं, ताकि मांझा जल्दी टूटे नहीं।
पार्षद की शिकायत पर भी नहीं चेते
चाइनीज मांझों की बिक्री और धड़ल्ले से उपयोग को लेकर बीते सप्ताह राजघाट क्षेत्र के पार्षद अजय उदासीन ने कलेक्ट्रेट की जनसुनवाई में शिकायत दी थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि जल्द ही यदि इसके विक्रय और उपयोग पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया तो आम नागरिक इसका शिकार हो सकते हैं। करीब एक सप्ताह का समय बीतने के बाद भी जनसुनवाई में की गई इस शिकायत को अधिकारियों ने गंभीरता से नहीं लिया। परिणाम स्वरूप दो बेकसूर अब जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं।
इन क्षेत्रों में बिकते हैं चाइनीज मांझे
शहर के राजपुरा गेट, मंडी बाजार, पाला बाजार, सिंधीपुरा मार्ग, लालबाग सहित अन्य क्षेत्रों में सर्वाधिक चाइनीज मांझे की बिक्री होती है। आमतौर पर मकर संक्रांति पर्व के दौरान पतंगबाजी की प्रतियोगिताएं होती हैं, लेकिन बीते कुछ सालों से सर्दी का मौसम शुरू हाेने से पहले ही पतंग उड़ाने का सिलसिला शुरू हो गया है।