छत्तीसगढ
भेड़-बकरियों की बीमारी के कारण 80 प्रतिशत तक नहीं बचती जान, अब उन्हें टिका बचाएगा
बिलासपुर। पशु चिकित्सा विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में जिले के एक लाख 34 हजार भेड बकरियों को मौसमी बीमारी सर्दी, खांसी और जुकाम से बचाने के लिए टीकाकरण अभियान की शुरुआत की है।
सघन टीकाकरण अभियान 31 अक्टूबर तक चलाया जाएगा। पशु चिकित्सा विभाग द्वारा संचालित इस अभियान के तहत जिले के सभी भेड़-बकरियों का पीपीआर (पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स) टीकाकरण किया जाएगा। पीपीआर को भेड़-बकरियों के प्लेग के रूप में भी जाना जाता है, जो संक्रामक रोग है और इसका असर सीधे तौर पर पशुओं की सेहत पर पड़ता है।
ये दिखते हैं लक्षण
पीपीआर रोग का असर भेड़-बकरियों पर बुखार, मुंह में छाले, दस्त और निमोनिया के रूप में देखा जाता है। यदि समय पर इलाज और टीकाकरण न हो, तो इस रोग से 50 से 80 प्रतिशत तक पशुओं की मौत होने की आशंका रहती है।
पशुपालकों को मिलेगी राहत, बीमारी से मृत्यु दर में 80 प्रतिशत कमी आएगी
जिले में सर्दी, खांसी, जुकाम व मौसमी बीमारियों से भेड़ बकरियों की मौत का आंकड़ा पूर्व में 80 प्रतिशत तक बढ़ जाता था। इसके चलते जिले में भेड बकरियों की कमी होने लगी थी। विभाग ने आंकड़ों को गंभीरता से लेते हुए पीपीआर बीमारी से भेड़ बकरियों को बचाने के लिए टीकाकरण अभियान की शुरुआत की है। इससे मृत्युदर में 70 प्रतिशत की कमी आई है। अब केवल 10 प्रतिशत मामले ही सामने आ रहे है जिसे भी पशु चिकित्सा विभाग कम करने का प्रयास करने टीकाकरण अभियान में तेजी लाने का प्रयास कर रहा है।
अपने पशुओं को दिलवाएं सुरक्षा कवच
पशु चिकित्सा विभाग ने पशु पालकों से अपील की है कि वे अपने पशुओं का गंभीर व जानलेवा मौसमी बीमारियों से बचाने के लिए अनिवार्य रूप से टीकाकरण कराएं। टीकाकरण होने से रोग फैलाव को रोकने में सहायता मिलती है। इससे न केवल भेड़-बकरियों के स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि पशुपालक भी आर्थिक नुकसान से बचते हैं। टीकाकरण से रोगों की रोकथाम के साथ ही पशुपालकों की आय में भी वृद्धि होती है।