SC/ST Creamy Layer: शीर्ष अदालत के फैसले से BJP को फायदा होने की उम्मीद, इन वर्गों तक बढ़ा सकती है अपनी पहुंच
सुप्रीम कोर्ट के उस ऐतिहासिक फैसले पर भाजपा ने भले ही कोई स्पष्ट नहीं किया हो, जिसमें राज्यों को अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के भीतर उप-वर्गीकरण बनाने की अनुमति दी गई है, लेकिन इसके कई नेताओं का मानना है कि यह फैसला पार्टी को दलितों के अधिक वंचित वर्गों तक अपनी पहुंच बढ़ाने में मदद कर सकता है।
अनुसूचित जातियों को अपने पक्ष में करने का मिलेगा मौका
भाजपा ने उत्तर प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक जैसे कई राज्यों में पिछले कई वर्षों में संख्यात्मक रूप से कमजोर अनुसूचित जातियों (एससी) को अपने पक्ष में करने की कोशिश की है, और शीर्ष अदालत के फैसले से पार्टी को इन समुदायों को उनकी सबसे बड़ी इच्छा – सरकारी नौकरियों और योजनाओं में उनका उचित हिस्सा – देने का वादा करने का मौका मिल सकता है।
लोकसभा चुनावों में भाजपा के दलित वोटों में आई गिरावट
बता दें कि हाल ही में खत्म हुए लोकसभा चुनावों में दलित वोटों में आई गिरावट ने भाजपा को फिर से काम पर लगा दिया है, क्योंकि पार्टी विपक्ष के इस आरोप के बाद समुदाय तक अपनी पहुंच को फिर से मजबूत करना चाहती है कि नरेंद्र मोदी सरकार संविधान को बदलना चाहती है, जिसे चुनाव में कुछ समर्थन मिला। हालांकि, पार्टी के एक वर्ग का मानना है कि उसे राजनीतिक अनिश्चितता से भरे इस मुद्दे पर सावधानी से आगे बढ़ना चाहिए और अपनी स्थिति को रेखांकित करने से पहले अनुसूचित जातियों और जनजातियों के भीतर समग्र मनोदशा का आकलन करना चाहिए।
पार्टी के भीतर भी होते हैं अलग-अलग विचार
अधिकांश पार्टियां, चाहे वह भाजपा हो या कांग्रेस या कई क्षेत्रीय पार्टियां, स्पष्ट रुख अपनाने से बचती रही हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि इन समुदायों के भीतर से प्रतिक्रिया खुद ही विभाजित है। एक पार्टी के नेता ने कहा कि पार्टी के भीतर भी अलग-अलग विचार होते हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किससे बात करते हैं।
LJP (रामविलास) और राजद फैसले के खिलाफ
भाजपा के लिए चीजों को मुश्किल बनाने वाली बात उसकी सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का फैसले के खिलाफ रुख है, जो जाहिर तौर पर इस तथ्य से प्रेरित है कि बिहार में पासवानों का उसका समर्थन आधार जाति के आधार पर दलित कोटा को विभाजित करने के विचार से नाखुश है। लोजपा अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान भाजपा के कट्टर सहयोगी रहे हैं। वहीं बिहार में मुख्य विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) भी कई एससी समुदायों के लिए उप-कोटा तय करने के किसी भी कदम के खिलाफ सामने आया है।