इनमें से अधिकांश कार्यों के लिए केंद्र सरकार से भी बजट मांगा जाएगा। विभागों को केंद्र से सहायता प्राप्त करने के लिए कार्यों का प्रस्ताव बनाकर भारत सरकार को भेजने के निर्देश दिए गए हैं। फिलहाल सिंहस्थ 2028 से जुड़ी 19 पहलों के लिए 5,882 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया है।
इनमें जल संसाधन, नगरीय प्रशासन एवं विकास, ऊर्जा, लोक निर्माण, संस्कृति और पुरातत्व विभागों की परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है। बताते चलें कि भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से दो ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश में हैं। उज्जैन के महाकाल ज्योतिर्लिंग और ओंकारेश्वर में बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं।
भीड़ संभालने के लिए बनेगी कुशल यातायात प्रणाली
हर 12 वर्ष में पवित्र शहर उज्जैन में आयोजित होने वाले सिंहस्थ के लिए प्रसिद्ध मध्य प्रदेश राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर एक विशेष स्थान रखता है। वहीं, सिंहस्थ में दुनिया भर से लगभग 15 करोड़ आगंतुकों के आने की उम्मीद की जा रही है।
लिहाजा, इतनी बड़ी संख्या में आने वाले भक्तों की भीड़ को संभालने के लिए उज्जैन में एक कुशल यातायात प्रणाली भी बनाई जाएगी। पैदल आने वाले श्रद्धालुओं के लिए अलग रास्ता बनाया जाएगा, ताकि वाहनों की वजह से जाम न लगे और लोगों को परेशानी न हो।
प्रारंभिक कार्यों की यह परियोजनाएं स्वीकृत
- 29.21 किलोमीटर लंबे घाटों का 778.91 करोड़ से निर्माण किया जाएगा और 1,024.95 करोड़ रुपये से कान्ह नदी का 30.15 किलोमीटर का डायवर्जन किया जाएगा।
- क्षिप्रा नदी पर सिलारखेड़ी-सेवरखेड़ी बांध के निर्माण से जुड़ी एक सतत जल प्रवाह योजना के लिए 614.53 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
- जल विनियमन के लिए क्षिप्रा नदी पर 74.67 करोड़ रुपये से 14 और कान्ह नदी पर 43.51 करोड़ रुपये से 11 प्रस्तावित बैराज बनाए जाएंगे।
- 198 करोड़ के आवंटन के साथ उज्जैन शहर सीवरेज परियोजना, 250 करोड़ की लागत से अल्ट्रा-हाई-प्रेशर कार्य के लिए एक नया ईएचवी सबस्टेशन, 16.80 करोड़ की लागत से हाई-प्रेशर स्टेशन की क्षमता वृद्धि और 29.83 करोड़ की लागत से 33/11 केवी सबस्टेशन स्थापित किया जाएगा।
- 4.50 करोड़ 33 केवी लाइन और इंटरकनेक्शन (10 किमी) के निर्माण के लिए अलग रखे गए हैं। 18.36 करोड़ 80 किमी तक फैले समान कार्यों के लिए और 10.08 करोड़ ओंकारेश्वर बजट के तहत भूमिगत केबल कार्य पर व्यय किए जाएंगे।