मध्यप्रदेश

पद्मश्री से सम्मानित बैगा चित्रकार जोधइया बाई बैगा का निधन, 67 की उम्र में सीखी थीं पेंटिंग

उमरिया। दुनिया भर में अपनी चित्रकारी से उमरिया जिले को पहचान दिलाने वाली प्रसिद्ध बैगा आदिवासी चित्रकार और पद्मश्री सम्मानित जोधइया बाई बैगा का निधन हो गया। 86 साल की जोधइया का बीते कुछ महीनों से उनकी हालत कई दिनों से गंभीर बनी हुई थी। उम्र अधिक होने और न्यूरो से संबंधित जटिलताओं के कारण उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आ रही थी। जोधइया का निधन उनके लोढ़ा गांव स्थित निवास पर हुआ।

बैगा समुदाय की कला और संस्कृति की सशक्त पहचान

जोधइया बाई बैगा ने अपनी अद्भुत चित्रकला से न केवल उमरिया जिले बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया। उनकी कला में आदिवासी परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत चित्रण देखने को मिलता था। वे बैगा समुदाय की कला और संस्कृति की सशक्त पहचान थीं।

बैगा चित्रकारी पर मिला पुरस्कार

जोधइया ने 67 वर्ष की उम्र में बैगा चित्रकारी में अपनी कला का प्रदर्शन शुरू किया। महिला सशक्तिकरण और आदिवासी कला को बढ़ावा देने में उनके योगदान के लिए उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली। नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद 25 जनवरी 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ‘पद्म पुरस्कार’ से सम्मानित किया।

स्वास्थ्य में गिरावट

बीते महीनें जोधइया बाई को न्यूरोलॉजिस्ट, नेफ्रोलॉजिस्ट और कार्डियोलॉजिस्ट की जरूरत थी, जो उमरिया जिला अस्पताल में उपलब्ध नहीं थे। उन्हें एसी एंबुलेंस से जबलपुर मेडिकल कॉलेज भेजा गया था। हालांकि, उनकी स्थिति अत्यधिक कमजोर हो चुकी थी और भोजन न कर पाने के कारण उनका शरीर और अधिक दुर्बल हो गया था।

देश ने खोया एक सांस्कृतिक सितारा

जोधइया बाई बैगा का निधन कला और संस्कृति के क्षेत्र में एक बड़ी क्षति है। वे आदिवासी समुदाय की सशक्त आवाज थीं और उनकी कला हमेशा इस बात की याद दिलाएगी कि भारतीय परंपराओं में कितना गहराई और सौंदर्य है।

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