मालिक के बेटे पर आदमखोर तेंदुए ने किया हमला तो कूदकर आगे आ गया वफादार शेरू, ऐसे बचाई बच्चे की जान
कांकेर। कुत्ते वफादार तो होते ही हैं, मालिक की जान पर बन आए तो अपनी जान देने से भी पीछे नहीं हटते। ऐसा ही घटना छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के दुधावा में हुई। यहां पालतू कुत्ता शेरू 11 साल के बच्चे नीरज ध्रुव को बचाने के लिए आदमखोर तेंदुए से भिड़ गया। बच्चे की गर्दन तेंदुए के जबड़े से मुक्त कराई। स्वजन ने घायल बच्चे को रायपुर के डीकेएस अस्पताल में भर्ती कराया है। आदमखोर तेंदुआ अब तक इलाके के तीन बच्चों को अपना शिकार बना चुका है।
पटेलपारा निवासी नीरज ध्रुव मंगलवार की शाम शाम छह बजे अपने चाचा के घर जाने के लिए निकला था। उसी समय घात लगाए बैठे तेंदुए ने उसकी गर्दन अपने जबड़े में दबोची और जंगल की ओर भागने लगा। चौकन्ने हुए पालतू कुत्ता शेरू ने स्वामी भक्ति दिखाई और बच्चे की जान बचाई। चीख पुकार सुनकर ग्रामीण इकट्ठे हुए। स्वजन घायल बच्चे को अस्पताल ले गए।
पदचिह्न तलाशे, लगाए जाएंगे पिंजरे
इधर, बुधवार को वन विभाग की टीम दुधावा गांव में पहुंची। आदमखोर तेंदुए को पकड़ने के लिए एक्सपर्ट की टीम ने दुधावा की गलियों में ट्रैप कैमरे लगाए। तेंदुए के पदचिह्न तलाशे गए। पिंजरे लगाने की जगह चिह्नित की गई। इस दौरान रेंजर अब्दुल रहमान खान, विजयंत तिवारी व वन विभाग के अधिकारी मौजूद थे।
अब तक तीन बच्चों का शिकार
आदमखोर तेंदुआ अब तक क्षेत्र में तीन बच्चों को अपना शिकार बना चुका है। बता दें कि दुधावा के पटेलपारा में मंगलवार की शाम करीब छह बजे 11 साल का बच्चा नीरज ध्रुव अपने घर से चाचा के घर जाने निकला था। तभी अचानक तेंदुए ने उस पर हमला कर दिया और उसका गला पकड़कर जंगल की ओर भाग रहा था। तभी पालतू कुत्ता शेरू सामने आ गया और तेंदुए से भिड़ गया।
गांव में है भय का माहौल
ग्रामीण घुरऊ निषाद एवं दिनेश रजक ने बताया कि शाम होते ही आदमखोर तेंदुए का भय बना रहता है। शाम होते ही घर का दरवाजा बंद कर देते हैं। घर के छोटे बच्चों को घर से बाहर निकलने नहीं देते हैं, चूंकि गांव में दहशत का माहौल है।
घुरऊ निषाद दिनेश रजक घनश्याम यादव, हरिराम यादव बालाराम यादव आदि लोगों ने बताया कि चार अगस्त को ग्राम कोड़मुड़ में तीन वर्ष के बालक को तेंदुए ने मार डाला था। वहीं ग्राम नयापारा दुधावा में 26 अगस्त को सुबह नौ बजे ढाई वर्ष के बच्चे पर तेंदुए ने हमला कर घायल कर दिया था। उसकी बुआ की सुझबूझ बच्चे की जान बच पाई थी।