मध्यप्रदेश

800 से अधिक मोडिफाइड साइलेंसर पर चला इंदौर पुलिस का बुलडोजर..

इंदौर। यातायात पुलिस पिछले 10 दिनों से तेज और कर्कश ध्वनि निकालने वाले मोडिफाइड साइलेंसर बुलेट में लगाकर घूमने वाले चालकों पर चालानी कार्रवाई कर रही है। इसके साथ ही मोडिफाइड साइलेंसर जब्त भी किए जा रहे हैं।

अब तक 825 साइलेंसर जब्त किए गए थे, जिन्हें गुरुवार को बुलडोजर चलाकर नष्ट कर दिया गया। यातायात पुलिस ने गुरुवार दोपहर विजय नगर चौराहे के पास जब्त किए हुए 825 मोडिफाइड साइलेंसर को कतार में रखा।इसके बाद इन सभी पर बुलडोजर चलाकर इन्हें नष्ट कर दिया।

दुकानों पर नहीं हो रही कार्रवाई

इधर, प्रशासन और पुलिस की नाक के नीचे आटो पार्ट्स दुकानों पर दो से 12 हजार रुपये में अलग-अलग तरह के मोडिफाइड साइलेंसर बिना किसी रोक-टोक के बिक रहे हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं हो पा रही है। बता दें कि पिछले साल यातायात विभाग ने ही कई दुकानों से सैकड़ों की संख्या में मोडिफाइड साइलेंसर जब्त किए थे।

मगर, जिन दुकानों से वाहन चालक मोडिफाइड साइलेंसर खरीदकर लगवा रहे हैं, वहां कार्रवाई नहीं की जा रही है। जबकि पिछले वर्ष ही मई माह में यातायात पुलिस ने दो बड़ी कार्रवाई की थी। अलग-अलग आटो पार्ट्स की दुकानों पर कार्रवाई करते हुए मोडिफाइड साइलेंसर को जब्त किए थे। इसके अलावा दो दुकानदारों पर 70 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था। मगर, इस बार ऐसी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

दो से 10 हजार रुपये तक के साइलेंसर

शहर में कई आटो पार्ट्स की दुकानों पर आसानी से कई तरह के मोडिफाइड साइलेंसर दो से 10 हजार रुपये में उपलब्ध हैं। जिसमें इंदौरी, पंजाबी, डाल्फिन, शार्ट बाटल, लांग बाटल, आग उगलने वाले आदि मोडिफाइड साइलेंसर है। किसी साइलेंसर में बेस अधिक होता है, तो किसी में तेज आवाज। तो कोई साइलेंसर गोली और पटाखे जैसी आवाज निकालते हैं।

इधर होती है खानापूर्ति

शहर में ध्वनि प्रदूषण की निगरानी करने की जिम्मेदारी मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास है। बोर्ड ने शहर में अलग-अलग जगह पर ध्वनि प्रदूषण मापने के लिए यंत्र भी लगाए हैं। मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी एसएन द्विवेदी ने बताया कि वाहनों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण को लेकर समय-समय पर जांच की जाती है।

उन्होंने बताया कि खामी मिलने पर आरटीओ को सूचित किया जाता है। ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर कार्रवाई का अधिकारी यातायात पुलिस और परिवहन विभाग को है। हम सिर्फ मॉनिटिरंग करते हैं।

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