रांची: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान के 100 वर्ष पूरे होने पर नामकुम में शताब्दी समारोह का आयोजन किया गया. जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शामिल हुईं. इसके अलावा प्रदेश के राज्पपाल और सीएम हेमंत सोरेन भी शामिल हुए.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड में राज्यपाल के रूप में अपने छह वर्षों के कार्यकाल को याद करते हुए कहा कि यहां के लोगों ने मुझे अपार स्नेह दिया है. लाह, रेजिन और गोंद की खेती से किसानों का जीवन स्तर सुधारा जा सकता है. राज्यपाल के रूप में अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि एक बार जब वे पलामू गयीं तो लोगों ने बताया कि उस इलाके का नाम पलामू भी बहुतायत में पलाश, लाह और महुआ की खेती की वजह से पड़ा.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि लाह की खेती में अधिकतर जनजातीय महिलाएं जुड़ी हैं. जरूरत है कि शोध और नए नए तकनीकों का लाभ लाह की खेती में लगे किसानों को मिले. राष्ट्रपति ने कहा कि जो बहनें खेती करती हैं, उनके उत्पाद जैसे सब्जियों पर लाह की कोटिंग कर कैसे उसे स्टोर करने की अवधि बढ़ाई जा सकती है. इस पर भी विचार करना चाहिए.
पीपुल गवर्नर के रूप में राष्ट्रपति की झारखंड में पहचान- राज्यपाल
राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान के शताब्दी वर्ष कार्यक्रम को राज्यपाल संतोष गंगवार ने भी संबोधित किया. उन्होंने कहा कि मैं जिन इलाकों में अभी तक गया हूं, हर जगह एक बात कॉमन है कि राज्य की राज्यपाल के रूप में अपनी अमिट छाप छोड़ने वालीं द्रौपदी मुर्मू ने पीपुल गवर्नर के रूप में पहचान बनाई. वहीं सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि आज किसानों के लिए सिर्फ बड़ी बड़ी बातें होती हैं, कागजों पर खुशहाल किसान का आंकड़ा भी दिखा देते हैं लेकिन हकीकत उससे काफी अलग है. आज किसानों की स्थिति और समस्याएं जस की तस हैं. आज हम इस बात पर गौरवांवित हो रहे हैं कि देश में कुल लाह उत्पादन का 55% झारखंड में उत्पादन होता है. लेकिन इस पर कोई चिंतन नहीं करता कि हम कुल 70% उत्पादन से 55% पर कैसे आ गए.
महिला किसान लखपति दीदी ही क्यों, करोड़पति दीदी क्यों नहीं- सीएम
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि आज हम लखपति दीदी बनाने की बात कर रहे हैं. मेरा सवाल है कि लखपति दीदी की बात क्यों करोड़पति दीदी की बात क्यों नहीं. सदियों से हमारी संवेदनाएं किसानों के प्रति रही है आगे भी रहेगा. आंकड़े देखें तो पिछले सौ साल में किसान खेतिहर मजदूर होते गए, ऐसा क्यों हुआ. इसपर केंद्र और राज्य दोनों को मिलकर चिंतन करने की जरूरत है.
आज देश में बिचौलियों की जमात शक्तिशाली- हेमंत सोरेन
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि आज देश में बिचौलिये शक्तिशाली हो गए हैं. किसानों को भी उसका नुकसान हो रहा है. उनकी उपज का लाभ बिचौलियों को मिल रहा है. मौसमी फसल के साथ-साथ वैकल्पिक खेती को भी राज सरकार बढ़ावा दी है जबकि हमारी सरकार ने लाख की खेती को कृषि का दर्जा भी दे दिया है. इस भौतिक युग में किसानों को जीवित रखना बहुत जरूरी है.