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एक साल में 41 गुना तेज रफ्तार से दौड़ा ई-रुपया… साल 2024 में 234 करोड़ हुई बाजार में भागीदारी

लखनऊ । महज एक साल में ई-रुपये का सर्कुलेशन 41 गुना से ज्यादा बढ़ गया है। महज एक साल में इसका सर्कुलेशन 41 गुना से ज्यादा बढ़ गया है। वर्ष 2023 में बाजार में मौजूद 5.70 करोड़ रुपये के ई-रुपये 2024 में बढ़कर 234 करोड़ हो गए। इसमें 164 करोड़ अकेले 500 रुपये के हैं।

इसे अपनाने वाले प्रमुख राज्यों में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा हैं। शुक्रवार को जारी आरबीआई की रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है। जिन राज्यों में युवाओं की संख्या ज्यादा है, वहां ई-रुपये का चलन जेट की रफ्तार से बढ़ा है।

500 रुपये की डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल तो महज एक वर्ष में 60 गुना बढ़ गया। वहीं 200 रुपये का 30 गुना, 100 रुपये का 20 गुना, 50 रुपये का 25 गुना लेनदेन ज्यादा हुआ। 50 पैसे के ई-रुपये का लेनदेन भी नौ लाख रुपये हो गया। इसकी लोकप्रियता की सबसे बड़ी वजह बैंक खाते की अनिवार्यता न होना और छोटे भुगतान का ट्रैक रिकार्ड न होना है।

ई-रुपये से करें खरीदारी, बैंक खाता भी जरूरी नहीं

ई-रुपये आधिकारिक डिजिटल करेंसी है। आरबीआई द्वारा लांच सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) का ही दूसरा नाम ई रुपये है। ई-रुपया 50 पैसे से लेकर 500 रुपये तक की फिजिकल करेंसी का डिजिटल रूप है। खरीदारी में नोट की तरह ई-रुपये का भुगतान किया जा सकता है। वेतन भी ई-रुपये में ले सकते हैं।

ग्राहक ई-रुपये को बैंक या दुकानदार से कैश में बदल सकते हैं। ई-रुपये के लिए बैंक खाता जरूरी नहीं है। ई-रुपये को ‘टोकन’ भी कहा जाता है। जैसे 500 रुपये की करेंसी को नोट कहा जाता है, वैसे ही 500 रुपये के ई-रुपये को टोकन कहते हैं।

नकली करेंसी पर रोक के लिए ई-रुपया

हर वर्ष नोट छापने पर सरकार के अरबों रुपये खर्च होते हैं। हर तीन महीने में जाली नोटों से बचाने के लिए सिक्योरिटी फीचर बदले जाते हैं। करेंसी के ट्रांसपोर्ट में मोटा खर्च होता है। सुरक्षा एक बड़ा चुनौती होती है। इस पर रोक के लिए ई-रुपया लाया गया है। बिटक्वाइन और ई-रुपया में भी अंतर है।

बिटक्वाइन की ब्लॉकचेन का इस्तेमाल कोई भी कर सकता है और बिटक्वाइन बना सकता है। ई-रुपये की ब्लॉकचेन पर अधिकार सरकार का है। बिटक्वाइन पर किसी का अधिकार नहीं है जबकि ई-रुपया पर आरबीआई का अधिकार है। ई-रुपये में भी आरबीआई का लोगो और गवर्नर का हस्ताक्षर होता है।

एप से ई-रुपये का लेनदेन

ई-रुपये का इस्तेमाल डिजिटल रुपये एप से किया जाता है। हर बैंक का अपना डिजिटल रुपये एप है। जिस सामान को कैश खरीदा जाता है, उसका कोई रिकार्ड नहीं होता। उसी तरह ई-रुपये से किए गए भुगतान को भी ट्रैक नहीं किया जा सकता। हालांकि आरबीआई का कहना है कि बड़े लेनदेन को ट्रैक किया जा सकता है।

दूसरे शब्दों में कहें तो ई-रुपये भुगतान यूपीआई एप से ज्यादा सुरक्षित है क्योंकि यूपीआई या वॉलेट से किए गए भुगतान का सारा डाटा उस कंपनी के पास होता है, जिसकी सेवाएं आप ले रहे हैं। इसके अलावा ई-रुपये के लिए बैंक खाते की जरूरत नहीं है लेकिन यूपीआई एप के लिए बैंक खाता चाहिए।

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