रायपुर में डीजे का शोर, लोगों का रोष: सामाजिक कार्यकर्ता ने की शिकायत
रायपुर : ऊंची आवाज व वाहनों में डीजे रखकर बजाने पर उच्च न्यायालय के निर्देशों के बावजूद राजधानी रायपुर में डीजे के उपयोग की शिकायत पर गृह विभाग ने पुलिस महानिदेशक को नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही कर, की गई कार्यवाही से अवगत कराने कहा है।गौरतलब है कि सामाजिक कार्यकर्ता संदीप तिवारी ने डीजे के उपयोग को लेकर शिकायत की थी। गणेशोत्सव के दौरान 17 सितंबर को वे परिवार सहित शंकरनगर चौक की तरफ जा रहे थे। इस दौरान वहां सड़क पर एक कार्यक्रम चल रहा था, जहां ऊंची आवाज में डीजे बजाया जा रहा था। कार्यक्रम की वजह से ट्रैफिक जाम में फंसे तेज आवाज में डीजे बजने से कार के अंदर उनकी छोटी बच्ची घबरा कर रोती रही।
ट्रैफिक जाम में लोग करीब आधे घंटे तक फंसे रहे।कार्यक्रम स्थल पर पुलिस मूक दर्शक बन कर खड़ी थी, लोगों ने तत्काल इसकी सूचना डायल 112 पर पुलिस को दी, लेकिन रसूख वाले आयोजनकर्ता के कारण कोई कार्यवाही नहीं की गई। बाद में सामाजिक कार्यकर्ता संदीप तिवारी ने लोगों की सलाह पर इसकी शिकायत राज्य शासन से की। श्री तिवारी का कहना है कि राज्य शासन ने उच्च न्यायालय द्वारा ध्वनि प्रदूषण के मामले में दिए गए निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के लिए सभी जिला कलेक्टरों व पुलिस अधीक्षकों को पत्र लिखा है। कलेक्टर व एसपी को सुनिश्चित करने को कहा गया है कि कोई भी वाहन साउंड बॉक्स न बजे। वाहन में साउंड बॉक्स मिलने पर साउंड बॉक्स जब्त कर वाहन का रिकार्ड रखा जाए।
जब्त साउंड बॉक्स को मजिस्ट्रेट (कलेक्टर) के आदेश के बाद ही छोड़ा जाना है। उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि नियम का उल्लंघन करते पाए जाने पर संबंधित अधिकारी पर अवमानना कार्रवाई होगी। इसके अलावा किसी जगह पर साऊंड बॉक्स लगा कर तय सीमा से अधिक आवाज में बजाने पर, तेज प्रेशर हार्न अथवा मल्टी टोन हार्न लगाने तथा स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, कोर्ट, ऑफिस से 100 मीटर एरियल डिस्टेंस पर लाउंड स्पीकर बजने पर भी भी ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम 2000 के अंतर्गत कार्रवाई किए जाने के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन इन निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है।
गौरतलब है कि ध्वनि प्रदूषण को लेकर दायर जनहित याचिका का निराकरण करते हुए उच्च न्यायालय ने 27 अप्रैल 2017 को आदेशित किया है कि कलेक्टर, एसपी व जिला प्रशासन के अधिकारी ध्वनि प्रदूषण के मामले में सकारात्मक कार्रवाई करें, न कि किसी नागरिक के फोन का इंतजार करें। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि राज्य पर्यावरण संरक्षण मंडल के अधिकारियों को भी शिकायत दर्ज कराना चाहिए