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संजौली मस्जिद मामले में हिंदू संगठनों का प्रदर्शन, सरकार को दिया 15 दिन का अल्टीमेटम, सीएम बोले- कानून से ऊपर कोई नहीं 

शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला इन दिनों एक मस्जिद के निर्माण को लेकर सुर्खियों में है. दरअसल स्थानीय लोग इसे अवैध बता रहे हैं और ये मामला सड़क से लेकर हिमाचल की विधानसभा तक भी पहुंच चुका है. गुरुवार को हिंदू संगठनों ने शिमला के उपनगर संजौली में एक विशाल रैली निकाली. जिसे लेकर शिमला पुलिस के जवान चप्पे-चप्पे पर तैनात रहे.

हिंदू जागरण मंच के अध्यक्ष कमल गौतम ने कहा कि “बुधवार को विधानसभा में हिमाचल सरकार के मंत्री ने बताया कि संजौली में बनी 5 मंजिला मस्जिद अवैध है. प्रशासन की मनाही के बाद भी इसका निर्माण किया गया है. इसलिये जब सरकार के मंत्री मान चुके हैं कि मस्जिद अवैध है तो इसे हटाया जाना चाहिए.”

कमल गौतम ने कहा कि “हिमाचल प्रदेश बाहरी राज्यों के लोगों की शरण स्थली बन रहा है. जिससे कानून व्यवस्था बिगड़ रही है. इसलिये सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए और कार्रवाई करनी चाहिए. ये मामला पिछले कई सालों से लंबित है इसलिये इस पर 15 दिन में फैसला नहीं लिया गया तो शिमला में बड़ा प्रदर्शन होगा”

वहीं सीएम सुखविंदर सुक्खू ने इस मामले पर कहा कि “प्रदेश में सभी नागरिक एक समान हैं और सभी धर्मों का सम्मान किया जाता है. लेकिन जो भी कानून हाथ में लेगा उससे सख्ती से निपटा जाएगा. हिमाचल में आने वाला हर नागरिक कानून से भी बंधा है. जो प्रदर्शन कर रहे हैं वो शांतिपूर्ण ढंग से होना चाहिए लेकिन कानून-व्यवस्था को तोड़ने की इजाजत किसी को नहीं है.”

कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि समाज के हर वर्ग को आगे ले जाना और सुरक्षा करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है. मैंने सदन में भी कहा है कि सरकार किसी भी तरह का अवैध निर्माण बर्दाश्त नहीं करेगी. संजौली में मस्जिद के निर्माण के मामले की नगर निगम के तहत सुनवाई हो रही है. जो भी फैसला नगर निगम कमिश्नर का आता है उसके तहत सरकार कार्रवाई करेगी”

विधानसभा में मंत्री ने क्या कहा था ?

दरअसल बुधवार को मानसून सत्र के दौरान मस्जिद का मामला भी गूंजा जिसपर कैबिनेट मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि “हिमाचल में रोज नए लोग आ रहे हैं. क्या ये रोहिंग्या मुसलमान हैं ? इन लोगों की वेरिफिकेशन होनी चाहिए. क्या प्रशासन से मस्जिद खोलने की अनुमति ली गई ? कोई भी धार्मिक संस्थान खोलने के लिए सरकार की परमिशन जरूरी है. मैंने नगर निगम से रिपोर्ट मंगवाई है जिसके मुताबिक 2010 में काम शुरू हुआ. 2012 में सुनवाई हुई लेकिन अवैध निर्माण चलता रहा. 2019 में 4 अतिरिक्त मंजिलों का अवैध निर्माण हो चुका था. जब 2010 में केस चल रहा था तो चार मंजिला कैसे बन गई, नगर निगम कहां सो रहा था ? 2023 में पता निगम को पता लगा कि जो सुनवाई में प्रतिवादी आ रहा है वो प्रतिवादी बन ही नहीं सकता. ये 10 साल बाद पता चला. साथ ही जो जमीन है उसका मालिकाना हक सरकार के पास है और वो कब्जाधारी हैं.”

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