देश

आरजी कर मेडिकल कॉलेज रेप केस: पॉलीग्राफ टेस्ट क्या है और कितना सटीक होता है यह? जानें सबकुछ

कोलकाता: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल और चार डॉक्टरों का पॉलीग्राफ टेस्ट कराएगी, जहां एक लेडी ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या की घटना हुई थी. पुलिस के अनुसार चारों डॉक्टरों ने कथित तौर पर अपराध से एक दिन पहले पीड़िता के साथ खाना खाया था.

यह कदम ऐसे समय में उठाया जा रहा है, जब संघीय एजेंसी ने मामले के मुख्य आरोपी संजय रॉय पर पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की अनुमति सियालदह कोर्ट से मांगी थी. बता दें कि कोलकाता पुलिस के नागरिक स्वयंसेवक रॉय को बलात्कार और हत्या के एक दिन बाद गिरफ्तार किया गया था और फिर उसे सीबीआई को सौंप दिया गया था.

पॉलीग्राफ टेस्ट क्या है?

पॉलीग्राफ टेस्ट, जिसे लाई डिटेक्टर टेस्ट के रूप में भी जाना जाता है, एक ऐसी प्रक्रिया है जो ब्लड प्रेशर, नब्ज, श्वसन और स्किन कंडेक्टिविटी जैसे कई शारीरिक संकेतकों को मापती है और रिकॉर्ड करती है. इस दौरान व्यक्ति से कई सवाल पूछे जाते हैं. टेस्ट के अनुसार भ्रामक जवाब शारीरिक रेस्पांस प्रॉड्यूस करेंगे, जिन्हें गैर-भ्रामक जवाबों से जुड़ी प्रतिक्रियाओं से अलग किया जा सकता है.

पॉलीग्राफ टेस्ट सेशन प्रारंभिक जानकारी एकत्र करने के लिए प्री-टेस्ट इंटरव्यू से शुरू होता है, जिसका इस्तेमाल बाद में निदान संबंधी सवाल डेवलप करने के लिए किया जाएगा. इस चरण के दौरान, परीक्षक आरोपी के साथ टेस्ट क्वेश्चन पर चर्चा करेगा और उसे टेस्टिंग प्रोसेसर के बारे में बताएगा. इसके बाद एक ‘स्टिम टेस्ट’ किया जाता है, जिसमें सब्जेक्ट को जानबूझकर झूठ बोलने के लिए कहा जाता है.

वास्तविक पॉलीग्राफ टेस्ट इसके बाद शुरू होता है, जब जांचकर्ता चार्ट क्लेक्ट फेज के दौरान कई पॉलीग्राफ चार्ट देता है और एकत्र करता है. सवालों और चार्टों की सीरीज इस्तेमाल किए गए टॉपिक्स और तकनीकों की संख्या के आधार पर अलग-अलग होगी।. अगर निदान संबंधी सवालों के लिए फिजिकल रेस्पांस रेलेवेंट सवालों की तुलना में बड़ी हैं, तो सब्जेक्ट टेस्ट पास कर लेता है.

क्या पॉलीग्राफ परीक्षण सटीक होते हैं?

पॉलीग्राफ टेस्ट की सफलता दर पूरी तरह से वैज्ञानिक रूप से सिद्ध नहीं हुई है, क्योंकि वैज्ञानिक और सरकारी निकाय आम तौर पर सुझाव देते हैं कि परीक्षण अक्सर गलत होते हैं और सत्यता का आकलन करने का एक अपूर्ण या अमान्य साधन हैं.

वहीं, दोषी व्यक्तियों को परीक्षण की वैलिडिटी बताए जाने पर वे अधिक चिंतित हो सकते हैं. वहीं, निर्दोष व्यक्तियों के दोषी व्यक्तियों की तुलना में समान रूप से या अधिक चिंतित होने का जोखिम होता है.

पॉलीग्राफ परीक्षण के परिणाम को कंफेशन नहीं माना जाता है और यह अदालत में भी स्वीकार्य नहीं है. परीक्षण केवल जांचकर्ताओं को उनकी जांच में सहायता करने और संदिग्धों से सुराग प्राप्त करने के लिए किए जाते हैं.

Show More

Related Articles

Back to top button
Everything you didn’t know about los angeles How to get safari’s privacy feature in chrome
Everything you didn’t know about los angeles How to get safari’s privacy feature in chrome The Venice Simplon Orient Express Honcymooning in italy