GST TAX: फिल्म के साथ पॉपकॉर्न का मजा अब होगा महंगा, 3 तरह के लगेंगे टैक्स
अब पॉपकॉर्न खरीदने पर आपको ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे, खासकर अगर आप फ्लेवर वाले पॉपकॉर्न खरीदते हैं। पॉपकॉर्न पर अलग-अलग जीएसटी स्लैब लागू होने से इसके बाजार में भी असर पड़ेगा। भारतीय बाजार में पॉपकॉर्न का कारोबार लगातार बढ़ रहा है, और इस नए टैक्स के लागू होने से इसकी कीमतें बढ़ सकती हैंI आइए विस्तार से जानते हैं देश में कितना बड़ा है इसका बाजार और किस फ्लेवर के पॉपकॉर्न पर कितना टैक्स लगेगा
अगर आप भी बीवी-बच्चों या दोस्तों के साथ थिएटर में मूवी देखने जाते हैं, तो पॉपकॉर्न के साथ उसका मजा लेते होंगे। लेकिन अब यह मजा महंगा होने वाला है। राजस्थान के जैसलमेर में हाल ही में जीएसटी काउंसिल की 55वीं बैठक हुई, जिसमें पॉपकॉर्न पर टैक्स को लेकर बड़ा फैसला लिया गया। काउंसिल ने पॉपकॉर्न को उसके फ्लेवर के आधार पर अलग-अलग जीएसटी स्लैब में डाला है। इसका मतलब है कि अब आपको पॉपकॉर्न खरीदने के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे।
पॉपकॉर्न पर तीन तरह के जीएसटी रेट्स
जीएसटी काउंसिल की बैठक में पॉपकॉर्न पर टैक्स को लेकर तीन अलग-अलग स्लैब्स तय किए गए हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में यह फैसला लिया गया। यह निर्णय पॉपकॉर्न के फ्लेवर के आधार पर अलग-अलग टैक्स रेट्स लागू करेगा।
- साधारण पॉपकॉर्न
अगर पॉपकॉर्न साधारण नमक और मसाले से तैयार किया गया है और यह पैकेज्ड या बल्क में नहीं है, तो इस पर 5% जीएसटी लगेगा। - पैकज्ड और लेबल्ड पॉपकॉर्न
अगर पॉपकॉर्न पैकेज्ड और लेबल्ड होकर बेचा जाता है, तो इस पर जीएसटी की दर बढ़कर 12% हो जाएगी। - चीनी वाले पॉपकॉर्न
चीनी या कारमेल फ्लेवर वाले पॉपकॉर्न पर सबसे ज्यादा जीएसटी लगेगा। इस पर 18% जीएसटी की दर लागू होगी, क्योंकि इसे ‘चीनी कन्फेक्शनरी’ की श्रेणी में रखा गया है।
भारत और दुनिया में पॉपकॉर्न का कारोबार
भारत में पॉपकॉर्न का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। 2023 में पॉपकॉर्न का कारोबार लगभग 1200 करोड़ रुपये के आसपास था, और यह हर साल बढ़ रहा है। पॉपकॉर्न का कारोबार केवल भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में भी बहुत बड़ा है। 2023 में दुनिया भर में पॉपकॉर्न का मार्केट 8 अरब डॉलर से ज्यादा का हो गया है।
GST काउंसिल की बैठक में अन्य महत्वपूर्ण फैसले
जीएसटी काउंसिल की बैठक में पॉपकॉर्न पर टैक्स के अलावा कई अन्य महत्वपूर्ण फैसले भी लिए गए:
- हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर जीएसटी
हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर जीएसटी दर को घटाने या हटाने के प्रस्ताव पर सहमति नहीं बन सकी। इस विषय पर कोई ठोस फैसला नहीं लिया गया। - ऑनलाइन फूड डिलीवरी पर जीएसटी
ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म्स जैसे Zomato और Swiggy से फूड ऑर्डर करने पर जीएसटी रेट को घटाने का प्रस्ताव भी टाल दिया गया। - होटल और रेस्टोरेंट्स पर जीएसटी
होटल और रेस्टोरेंट्स पर लगने वाले 18% जीएसटी को घटाकर 5% करने का प्रस्ताव था, लेकिन इसे भी काउंसिल ने स्वीकार नहीं किया।