रायपुर। कथित सेक्स सीडी कांड में सीबीआई के सुप्रीम कोर्ट में दीगर राज्य में सुनवाई करने के आवेदन को वापस लेने के साथ राज्य में सुनवाई होने का रास्ता खुल गया है. इस पर भाजपा विधायक राजेश मूणत ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर निशाना साधते हुए कहा कि डर के कारण सीबीआई को प्रतिबंधित किया था। गौरतलब है कि सीबीआई ने जब सुप्रीम कोर्ट में जब आवेदन दीगर राज्य में सुनवाई हेतु लगाया था उस समय भूपेश सरकार छत्तीसगढ़ में शासन कर रही थी। चूंकि अब भारतीय जनता पार्टी सत्ता में वापस हुई है अब वातावरण भूपेश बघेल और उनके सहयोगी विनोद वर्मा के अनुकूल नहीं होने के कारण और परिस्थितियों के परिवर्तन होने के बाद फिर से सुनवाई राज्य की अदालत में होगी। अब इस केस में जल्द से जल्द सुनवाई शुरू होने जा रही है और फर्जी सेक्स सीडी केस मामलें में तमाम सुबूतों के 200 गवाहों द्वारा न्यायलय में साबित कराया जाएगा। फर्जी सेक्स सीडी कांड के गवाहों को अब किसी भी प्रकार से खतरा नहीं होने का कारण जल्द से जल्द फर्जी सेक्स सीडी मामलें में फैसला आएगा जिसमें भूपेश बघेल-विनोद वर्मा और अन्य साथियों की मुसीबतें बढ़ने की संभावना है।
छत्तीसगढ़ पुलिस ने तत्कालीन मंत्री राजेश मूणत का फर्जी सेक्स सीडी बनाकर बदनाम करने के मामले का खुलासा किया था, और फिर तत्कालीन रमन सिंह सरकार ने मामले की जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया था। इस प्रकरण पर चालान पेश हो चुका है लेकिन आगे की सुनवाई कानूनी अड़चनों के कारण नहीं हो पा रही है। इस पूरे मामले में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल, और विनोद वर्मा को गिरफ्तार भी किया था। विनोद वर्मा के नोएडा स्थित निवास पर भी छापेमारी की थी। वो करीब तीन महीने जेल में भी रहे। बाद में वो
इस पूरे मामले में सीबीआई ने करीब 2 सौ लोगों को गवाह बनाया है। बता दें कि सीबीआई ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में आवेदन देकर सेक्स सीडी कांड की सुनवाई दीगर राज्य में करने का आवेदन वापस ले लिया था. सीडी कांड 27 अक्टूबर 2017 को उजागर हुआ था. तत्कालीन रमन सिंह सरकार ने मामले की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया था. इस प्रकरण में चालान पेश हो चुका है, लेकिन आगे की सुनवाई कानूनी अड़चनों के कारण नहीं हो पा रही है। इस मामले में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल और कांग्रेस नेता विनोद वर्मा को गिरफ्तार भी किया था. मामले में विनोद वर्मा के नोएडा स्थित निवास पर भी छापेमारी की थी. यही नहीं वो करीब तीन महीने जेल में रहने के बाद जमानत पर छूटे थे. इस मामले में सीबीआई ने करीब 2 सौ लोगों को गवाह बनाया है।