छत्तीसगढ

भैयाथान के बाद ओड़गी क्षेत्र में घुसे बाघ ने किया शिकार…

भैयाथान। ब्लॉक मुख्यालय भैयाथान से दस- बारह किमी दूर ग्राम बड़सरा, बसकर, कुधरी, धरसेड़ी सहित आसपास के आधा दर्जन गांवों में पिछले एक माह से ग्रामीण बाघ के विचरण से दहशत में जीने को मजबूर है। यहां तक कि ग्रामीण रात में घर से निकलना तक बंद कर चुके हैं। गांववालों ने जंगल जाना भी बंद कर दिया हैं। वहीं ओड़गी वन विभाग के अधिकारियों को बाघ की मौजूदगी पर काफी विरोधाभास है।इससे लगता है कि वन विभाग के अधिकारी – कर्मचारी बाघ के विचरण व पशुधन नुकसान को लेकर स्वयं असमंजस में है। ओड़गी क्षेत्र में गाय के शिकार के बाद भी बाघ होने की पुष्टि नहीं की गई है। फिलहाल क्षेत्र के एक दर्जन से ज्यादा मवेशियों का शिकार बाघ ने किया है।

शुक्रवार को ओडगी रेंज के गिद्धा झरिया जंगल में ग्राम बड़सरा निवासी सुखलाल के गाय को बाघ के द्वारा शिकार किए जाने की घटना के बाद ग्रामीण और भी दहशत में आ गए हैं। घटना को लेकर वन विभाग का अमला अब भी वन्य जीव होने का राग अलाप रहा है जबकि शनिवार को कोरिया व ओडगी वन विभाग की संयुक्त टीम ने घटनास्थल का निरीक्षण कर पंचनामा तैयार किया है इसके बाद भी ओडगी वन विभाग ने बाघ की मौजूदगी को साफ नकारते हुए कहा कि गायों का शिकार किसी अन्य वन्य जीव द्वारा किया गया है। जबकि पूर्व में बाघ के पंजों के निशान भी इस क्षेत्र में मिल चुके हैं व एक माह में बड़सरा, बसकर, कुधरीपारा, धरसेड़ी के पशुपालकों का एक दर्जन से अधिक मवेशियों को बाघ ने शिकार किया है जिसे वन विभाग मानने को तैयार नहीं हैं। जबकि कोरिया वन विभाग की टीम जिसने एक पखवाड़े पूर्व यहीं से गए बाघ को टेमरी जंगल में कैमरा लगाकर बाघ होने की पुष्टि की थी जहां उक्त बाघ ने दो भैंसो को अपना शिकार बनाया था।

सुखलाल ने बताया – झुंड से गाय को ले गया बाघ

बड़सरा के रहने वाले सुखलाल सिंह ने बताया कि मैं हर रोज की तरह शुक्रवार शाम अपने मवेशियों को जंगल से लेकर आ रहा था। उसी दौरान गिद्धा झरिया के समीप बाघ के दहाडऩे की आवाज मुझे सुनाई दी। इससे पहले की मैं कुछ समझ पाता कि बाघ ने गाय पर हमला कर दिया। बाघ गाय को अपने जबड़े में पकडक़र घसीटता हुआ भागने लगा और सभी गाय चिल्लाते हुए भागने लगी। इस हादसे से मैं काफी घबरा गया था। मुझे डर लग रहा था कि कहीं बाघ मुझ पर ही हमला न कर दे। इसलिए मैं जंगल से भागकर सीधे घर आ गया और स्वजन एवं ग्रामीणों को हादसे की खबर दी फिर चार पांच लोग होकर जंगल गए तो देखा मृत गाय वहां नही है।एक माह पूर्व भी पांच गायों को बाघ ने अपना शिकार बनाया था। आज तक कोई मुआवजा नहीं मिला है।

जंगल में मिला गाय का अवशेष,बाघ का पदचिन्ह भी

बाघ द्वारा गाय पर हमले की सूचना जनपद सदस्य सुनील साहू ने वन विभाग के अधिकारियों को दी। तब दूसरे दिन कोरिया व ओडगी वन विभाग की संयुक्त टीम आमाखोखा पहुंच ग्रामीणों को लेकर गिद्धा झरिया जंगल पहुंची। वहां बाघ के पदचिन्ह व गाय के मृत शरीर के अवशेष का पंचनामा बनाया। इसके बाद भी वन अधिकारी बाघ के बजाय दूसरे वन्य जीव द्वारा शिकार करने की बात कर रहे हैं। टीम में सोहन राम,रामदुलार सिंह ,मनोज एक्का सहित अन्य वनकर्मी शामिल रहे।

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