छत्तीसगढ

इंटरनेट मीडिया की जाल में बचपन, किशोर खो रहे पहचान ?

बिलासपुर। गुरुकुल में इंटरनेट मीडिया का प्रभाव विषय पर प्रकाशित कहानी को शहर के तीन अलग-अलग स्कूलों के बच्चों ने सुना। जिसे उन्होंने खूब पसंद किया।

शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला तिफरा, सीपत हायर सेकेंडरी स्कूल और आंध्र समाज स्कूल रेलवे के विद्यार्थियों ने यह कहानी सुनी। मनोविज्ञानी डी.कुमार ने बच्चों को बड़े ही सरल तरीके से यह कहानी सुनाया।
शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला तिफरा में कहानी का वाचन करते हुए उन्होंने कहा कि, लेखिका अमृता सिंह द्वारा लिखित यह कहानी समाज के लिए प्रेरणादायक है।
बच्चों के साथ माता-पिता को भी पसंद आ रही है। यह कहानी इंटरनेट मीडिया के प्रभाव पर केंद्रित है, जिसमें यह दर्शाया गया है कि किस प्रकार इंटरनेट मीडिया बच्चों के मानसिक विकास और व्यक्तिगत पहचान को प्रभावित कर सकता है।
पंखुरी नाम की एक लड़की के माध्यम से कहानी यह दर्शाती है कि किस प्रकार उसके जीवन में इंटरनेट मीडिया के कारण परिवर्तन आ रहे हैं। पंखुरी इंटरनेट पर समय बिताने लगी है और खुद को दूसरों से तुलना करने लगी है। अपने जीवन की साधारण खुशियों को छोड़, वह इंटरनेट मीडिया पर दिखने वाले परफेक्ट जीवन का पीछा कर रही है। उसके भीतर एक प्रकार की असंतुष्टि और असुरक्षा घर कर गई है।
मनोविज्ञान के नजरिए से यह कहानी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उन मानसिक परिवर्तनों की ओर इशारा करती है जो इंटरनेट मीडिया के अत्यधिक उपयोग से किशोरों में उत्पन्न हो सकते हैं।

इंटरनेट मीडिया का प्रभाव

मनोविज्ञानी डी.कुमार बताते हैं कि, इंटरनेट मीडिया का अत्यधिक उपयोग बच्चों में आत्म-सम्मान की कमी और असुरक्षा की भावना पैदा कर सकता है। बच्चों को इंटरनेट मीडिया पर अन्य लोगों के जीवन को देखकर अपने जीवन को तुच्छ समझने लगते हैं। इससे उनका ध्यान पढ़ाई और अन्य रचनात्मक कार्यों से हट सकता है, जिससे उनका विकास प्रभावित हो सकता है।

माता-पिता के लिए सुझाव

मनोविज्ञानी ने यह भी सुझाव दिया कि, माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों के सोशल मीडिया उपयोग पर नजर रखें और उनकी आनलाइन गतिविधियों पर सकारात्मक तरीके से चर्चा करें। इससे बच्चों में जागरूकता आएगी और वे इंटरनेट के सही उपयोग के महत्व को समझ पाएंगे।

किशोरों के लिए सुझाव

स्कूल में बच्चों को सलाह दी कि इंटरनेट मीडिया का उपयोग करते समय उन्हें अपनी पहचान और स्वाभिमान को बनाए रखना चाहिए। सोशल मीडिया का समझदारी से उपयोग करना और वास्तविक दुनिया में सामाजिक संबंधों को महत्व देना महत्वपूर्ण है। उन्होंने बच्चों से कहा कि वे अपनी उपलब्धियों और खुशियों को इंटरनेट पर पोस्ट करने के बजाय अपने परिवार और दोस्तों के साथ साझा करें। एक साथ मिलकर त्योहार मनाएं व खुशियां बांटे।
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