साप्ताहिक बाजार के कारण सुधर रहा व्यापारियों की आर्थिक स्तर, 20 गांव के लोग हैं निर्भर..
पामगढ़ । साप्ताहिक बाजार का चलन बहुत ही पुराना है यही कारण है की साप्ताहिक बाजार सभी वर्ग के लोग छोटी बड़ी जरूरतों की पूर्ति के लिए खरीददारी करने पहुंचते हैं। नगर पंचायत पामगढ़ में पिछले 40 साल से प्रत्येक सोमवार को साप्ताहिक बाजार लगता है। साप्ताहिक बाजार में हर प्रकार की छोटी और बड़ी चीजों की उपलब्ध होती है। सुई से लेकर फर्नीचर तक सारा सामान उचित दाम पर मिलते हैं। यहां के साप्ताहिक बाजार पर आसपास के करीब 20 गांव के लोग निर्भर हैं।
आर्थिक स्तर सुधारने में सहायक
साप्ताहिक बाजार छोटे व्यापारियों का आर्थिक स्तर सुधारने में सहायक है। प्रत्येक सोमवार को लगने वाले साप्ताहिक बाजार में जरूरत का सामान एक जगह पर ही मिल जाता है। सब्जियां, कपड़े, किराना का सामान, बर्तन, फल आदि सभी चीजें यहां उपलब्ध होती हैं। साप्ताहिक बाजार में भी चूंकि सामान के विविध विकल्प उपलब्ध होते हैं, इसलिए लोग यहां खरीदारी के लिए आसपास के 20 गांव के लोग बड़ी संख्या में आते हैं।
किसी भी दिन हो सकता है बड़ा हादसा
साप्ताहिक बाजार में सामान सस्ते दामों पर मिलती हैं क्योंकि इन दुकानदारों को पक्की दुकानों पर होने वाले किराये, बिजली बिल तथा सरकारी टैक्स आदि नहीं देने होते हैं। चीजों को ये दुकानदार अपने घरों में ही जमा करके रखते हैं तथा इन्हें कर्मचारी नहीं रखने पड़ते क्योंकि घर के लोग अक्सर इनकी सहायता करते हैं जिससे अलग से कर्मचारी नहीं रखने पड़ते। इससे इनकी आर्थिक बचत होती है। यहां 40 साल से साप्ताहिक हाट बाजार लगते आ रहा है। मगर बाजार को व्यवस्थित करने के तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। साप्ताहिक हाट बाजार में किसी भी दिन बड़ा हादसा हो सकता है।
मुख्य मार्ग के दोनों ओर बाजार
बाजार के बीच से ही दिन भर भारी वाहनों की आवाजाही बनी रहती है। इसके अलावा दो पहिया व चार पहिया वाहन भी निकलते हैं। भीड़ के बीच वाहन निकलने के दौरान बाजार में आने- जाने वाले लोगों को खासी परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। ऐसे में किसी भी दिन बड़ा हादसा हो सकता है। क्योंकि यहां शिवरीनारायण पहुंच मुख्य मार्ग के दोनों ओर बाजार लगता है। जिससे लोग सड़क पर खड़े होकर खरीदारी करते हैं। वहीं मुख्य मार्ग होने के कारण दिन भर में बड़ी संख्या में छोटे और भारी वाहन निकलते हैं जिसकी वजह से हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।