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गावस्कर आते तो उन्हें बताता मैने चुराया था आपका बैट..

ग्‍वालियर। केद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कंधे से कंधा मिलाकर ग्वालियर में 14 साल बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की वापसी की तैयारियों में जुटे जीडीसीए के अध्यक्ष एवं सेवानिवृत आइएस प्रशांत मेहता ग्वालियर चंबल के लिए कोई नया नाम नहीं है।

चाहे उनकी प्रशासनिक जवाबदेही की पारी हो या फिर क्रिकेट संवर्धन की। लेकिन बड़ी जिम्मेदारी निभाने वालों के जीवन के कुछ अनझुए पहलु ऐसे होते है जो दो-चार करीबियों के अलावा किसी को नहीं पता होते है।

प्रशासनिक जवाबदेही के साथ-साथ क्रिकेट संवर्धन की पारी कैसे ?

  • – क्रिकेट का शौक मुझे बचपन था। पर, स्कूल हो या कालेज की टीम में हमेशा 12 नंबर के खिलाड़ी के तौर पर चुना जाता है। मुझे ड्रिंक्स लेकर मैदान में दौड़ना पड़ता था तो मुझे काफी गुस्सा आता था। जब मैं निर्णय लेने की स्थिति में आया तब मैने खुद कप्तान बनकर खूब क्रिकेट खेली। उस दौर ( साल 1969) में सबसे ज्यादा मजा तब आया जब मैं जबलपुर यूनिवर्सिटी में पढ़ता था तब इंटर यूनिवर्सिटी में बाम्बे यूनिवर्सिटी से सुनील गावस्कर और इंदौर यूनिवर्सिटी से संजय जगदाले को खेलते देखा।
  • गावस्कर पहले जीरो में आउट हो गए फिर सेंचुरी बनाई। गावस्कर के किट बैग से बैट चुराकर हम लोग भाग गए। गावस्कर का टी-20 में कमेंट्री करने आना था लेकिन पता चला कि वे अब नहीं आएंगे। अगर वे आते तो मैैं उन्हें बताता कि मैने चूराया था आपका बैट..। प्रशासनिक सेवा के दौरान 4-5 मार्च 1993 में भारत-इंग्लैंड वनडे मैच थे तब महाराज (स्व. माधवराव सिंधिया) ने जिम्म्मेदारी दी आप देखिए और उसने जुड़ाव हो गया। साल 1996 में महाराज ने मुझे जीडीसीए में कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी। करीब चालीस साल के सफर में कभी मैं या बड़े महाराज या ज्योतिरादित्य जी अध्यक्ष, कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर जुड़ा हूं।

खाने में आलू का पराठा, पहनने में सूट-बूट

– मेहता बताते है कि मुझे खाने में आलू का पराठा और कड़ी चावल पसंद है। क्रिकेट के ग्राउंड में सूट-बूट में आना संभव नहीं हो पाता है इसलिए अब मैं फार्मल पेंट, हाफ शर्ट या टी-शर्ट में अधिकांश दिखता हूं। वैसे मुझे सूट-बूट, टाई पहनकर रहना पसंद है।

जैक कैलिस से सीखें कैसे रखा जाता है किट बैग

  • – साल 2010 में रूपसिंह स्टेडियम के ड्रेसिंग रूम में साउथ अफ्रीका टीम के जैक कैलिस का किट बैग देखने का मौका मिला। उनके बैग में बैट, ग्लब्स ऐसे रखे थे कि कोई आर्टिस्ट ने कोई कृति सजाकर रखी हो। वैसे, ड्रेसिंग रूम में आने-जाने पर रोक रहती है। मैं किसी के अनुरोध पर ड्रेसिंग रूप में गया था।
  • टी-20 मैच की तैयारियां कहां तक पहुंची ?
  • – चूंकि, अंतरराष्ट्रीय मैच है इसलिए तैयारियां क्रमबद्ध होती है। सबसे पहले ग्राउंड की तैयारी। फिर पार्किंग, टिकट। अब टीमों के आने की तैयारी। उन्हें होटल से नेट तक सुरक्षा के साथ स्टेडियम तक लाना ले जाता। मैच के दिन ये सब तैयारी एक साथ देखना पड़ेगी।

ग्वालियर और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 14 साल की दूरी आप कैसे देखते है ?

– ऐसा लग रहा है कि ग्वालियर में क्रिकेट लंबे समय से थम गया है। लेकिन ऐसा नहीं है.. ईरानी ट्राफी का सफल आयोजन हुआ। ये ट्राफी घरेलू क्रिकेट की प्रतिष्ठित ट्राफी में से एक है। बीसीसीआई के कई बड़ी ट्राफी, मैच भी हुए है। मतलब क्रिकेट की कोई कमी नहीं आई है राष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंट होते रहे है। हां ये जरूर है कि अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं हो पाया है।

नये स्टेडियम बनाने का सफर कैसा रहा ?

  • – नये स्टेडियम बनने के बाद पीछे मुड़कर देखते है तो काफी आनंद आता है। सबसे पहले जमीन देखने चले। एमपीसीए की टीम भी आई। उस समय 15-20 साइट देखीं। उसमे दो साइट पसंद आई। आइटीएम के आगे हाईवे तिराहे और शंकरपुर पर। ज्योतिरादित्य सिंधिया जी की अगुवाई में शंकरपुर की साइट फाइनल हुई और करीब बीस लाख रूपये बीघा में 60 बीघा जमीन खरीदी गई। फिर काम शुरू हुआ। कोविड भी आया। महंगाई भी बढ़ी। कान्ट्रेक्टर भी बदले.. काफी मशक्कत के बाद ये स्टेडियम बना। अब सोचचकर आनंद आता है।
  • रूपसिंह स्टेडियम को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने की योजना
  • – मेहता ने बताया, कैप्टन रूपसिंह स्टेडियम के लीज बढ़ाने का प्रस्ताव नगर निगम को देंगे। अगर उन्होंने दी तो हमारी कोशिश रहेगी कि इस स्टेडियम को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर जैसा तैयार कर ग्वालियर को दूसरे स्टेडियम की सौगात दें। क्योंकि, अब क्रिकेट के कई फार्मेट होने से क्रिकेट बढ़ गया है।
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