दस सेंट्रल ट्रेड यूनियन के आह्वान पर एटक यूनियन द्वारा मनाया गया एक दिवसीय काला दिवस
अम्बिकापुर । देश के दस बड़े सेंट्रल ट्रेड यूनियन के आह्वान पर 23 सितंबर को एक दिवसीय काला दिवस एटक यूनियन द्वारा भटगांव मे मनाया गया। यह कार्यक्रम भारत सरकार द्वारा 25 श्रम कानून में संशोधन करते हुए चार कोड बिल श्रम संहिता बनाने के विरोध में किया जा रहा है। भारत सरकार द्वारा श्रमिकों के पक्ष में बने कानून को कमजोर करते हुए औद्योगिक मालिकों के पक्ष में कानून का संशोधन किया गया है।
सामाजिक सुरक्षा के जो कानून पिछले 100 वर्षों में बने थे, उन सब कानूनो से औद्योगिक मालिकों को छूट प्रस्तावित है। मजदूरों के हड़ताल के अधिकार,ट्रेड यूनियन बनाने का अधिकार ,कारखाना बंदी में मिलने वाले लाभ का अधिकार ,औद्योगिक विवाद को कानूनन सुलझाने का अधिकार एवं सभी सामाजिक सुरक्षा के अधिकारों में कटौतियां के साथ वर्तमान संहिता में समझौता बोर्ड,कोर्ट आफ इंक्वारी,श्रम न्यायालय की अवधारणा और अस्तित्व का प्रावधान समाप्त कर दिया गया है।
समझौता पदाधिकारी ,राष्ट्रीय न्यायाधिकरण का प्रावधान रखा गया है जो श्रमिकों और ट्रेड यूनियन की पहुंच से बाहर होगा। फिक्स टर्म अपॉइंटमेंट को कानूनी रूप देते हुए नियुक्ति पत्र के प्रावधान में ही नियत अवधि का नियोजन लिखा रहेगा ,जो वास्तव में नियुक्ति सह बर्खास्तगी पत्र है। छंटनी ,लेऔफ या उद्योग बंदी में 300 से कम कर्मचारी होने पर सरकार की अनुमति जरूरी नहीं रहेगी। इस कानून का उद्योग मालिक भारी दुरुपयोग करेंगे और बैंकों से लिए गए कर्ज को हजम करने में कारखाने को मनमर्जी से कभी भी ले ऑफ बंदी कर सकते हैं,यह श्रमिकों के लिए भारी कुठाराघात होगा और अंत में संहिता में यह भी लिखा है कि अगर सक्षम सरकार चाहे वह केंद्र या राज्य की हो,चाहे तो संहिता के धारा 96 के तहत इस संहिता से नए उद्योगों के समूहों को आंशिक या पुर्ण छूट भी दे सकती है।
एटक यूनियन का आरोप है की सबसे खास बात यह है कि यह कानून कोरोना काल वर्ष 2020 में 19 सितंबर 2020 को संसद में पेश हुआ कोरोना के नाम पर लोकसभा या राज्यसभा सांसदों को ड्राफ्ट की प्रतिलिपि तक उपलब्ध नहीं कराई गई। बना कोई समिति का रिपोर्ट लिए, बिना संसद में बहस कराए 22 सितंबर को यह कानून लोकसभा से पास कर दिया गया और 23 सितंबर को राज्यसभा से पास कर दिया गया। 28 सितंबर को ही राष्ट्रपति का मुहर लगाकर 29 सितंबर 2020 को सरकार के गजट में प्रकाशित कर दिया गया। जबकि 23 सितंबर को 2020 को पूरे भारत के श्रम संगठन ने देश भर में विरोध प्रदर्शन/ हड़ताल कर रहे थे।
अभी तक 13 राज्यों ने अपने राज्य में लागू करने की सहमति दी है। बाकी राज्यों ने सहमति नहीं दिया है।भारत की सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियन ने एवं स्वतंत्र फेडरेशन इसका विरोध कर रहे हैं जिसके कारण सरकार अभी इसे लागू नहीं कर पा रही है। इसी कड़ी में आज 23 सितंबर 2024 को भारत के सभी केंद्रीय संगठन राष्ट्रव्यापी काला दिवस /विरोध दिवस मना कर सरकार को यह सूचित कर रहे हैं की जो वर्तमान संहिताएं बनाई गई हैं, इस पर पुनर्विचार किया जाए। श्रम संगठनों की राय ली जाए।
भटगांव क्षेत्र में एटक यूनियन द्वारा भटगांव भूमिगत खदान पर आयोजित किया गया।