100 साल से नर्मदा के पत्थरों से बना रहे शिवलिंग, अयोध्या में भी यहीं से भेजा जाएगा
जिला मुख्यालय से 80 किमी दूर बेड़िया के पास स्थित नर्मदा किनारे गांव बकावां में कण-कण में भगवान शिव हैं। यही वजह है कि यहां बना शिवलिंग अयोध्या के नवनिर्मित राम मंदिर में भी स्थापित किया जाएगा।
इसके लिए रविवार को रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय बकावां गांव पहुंचे थे। यहां नर्मदा नदी से निकले कंकर-पत्थर को तराशकर शिवलिंग बनाया जाता है। ये शिवलिंग बिना प्राण-प्रतिष्ठा भी स्थापित किए जा सकते हैं।
यहां करीब 100 साल से नर्मदेश्वर शिवलिंग बनाए जा रहे हैं। पहले सीधे तौर पर नर्मदा के पत्थरों को निकालकर स्थापित करके पूजा की जाती थी। मगर, बाद में इन पत्थरों को छेनी-हथौड़े से तराशा जाने लगा और अब मशीनों, ग्लेंडरों की मदद से यह काम किया जाता है।
25 फीट तक के बनते हैं शिवलिंग
गांव के सेवकराम बताते हैं कि केवट परिवारों ने शिवलिंग बनाने का काम शुरू किया था। अब गांव के 250 से ज्यादा परिवार शिवलिंग बनाने का काम कर रहे हैं। यहां एक इंच से लेकर 25 फीट तक के शिवलिंग बनाए जाते हैं, जो देश ही नहीं विदेश में भी पहुंचाएं जाते हैं।
शिवलिंग के अलावा यहां नंदी की मूर्तियां भी शिल्पकारों द्वारा बनाई जा रही है। शास्त्रों के अनुसार, नर्मदा नदी को वरदान प्राप्त है। नदी का कंकर-कंकर शंकर कहलाएगा। होलकर शासन में मां अहिल्याबाई होलकर के समय से ही नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा होती रही है।
उस समय नर्मदा नदी से सीधे पत्थर निकालकर उसकी शिवलिंग के रूप में स्थापना कर पूजा की जाती थी। शिल्पकार दीपक बताते हैं कि बकावां में नर्मदेश्वर शिवलिंग बनते हैं। यहां से देश-विदेश में 12 ज्योतिर्लिंग सहित सभी तीर्थ स्थलों के मंदिरों में भेजे जाते हैं।