दिल्ली में संवैधानिक संकट: विपक्षी नेताओं की मांग पर राष्ट्रपति सचिवालय ने लिया संज्ञान, गृह मंत्रालय को भेजा पत्र
नई दिल्ली: बीजेपी विधायकों ने राष्ट्रपति से दिल्ली सरकार को बर्खास्त करने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा था. राष्ट्रपति सचिवालय ने इस पर संज्ञान लिया है. राष्ट्रपति सचिवालय के निदेशक शिवेन्द्र चतुर्वेदी ने नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता को पत्र भेजा है. इसमें लिखा है कि बीजेपी विधायकों ने 30 अगस्त को राष्ट्रपति से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन दिया था, उसे संज्ञान में लेते हुए उचित कार्रवाई के लिए गृह मंत्रालय को भेज दिया गया है.
राष्ट्रपति का तत्काल हस्तक्षेप महत्वपूर्ण- BJP: राष्ट्रपति सचिवालय से भेजे गए पत्र को लेकर विधानसभा में नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने ETV Bharat से बातचीत में कहा कि सोमवार को उन्हें यह पत्र मिला है. खुशी है कि हम विधायकों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात कर उनको दिल्ली के हालात अवगत कराया और कार्रवाई करने की मांग की थी, उन्होंने इसे संज्ञान में लिया. विपक्ष का मानना है कि राजधानी में संवैधानिक मूल्यों और लोकतांत्रिक मानदंडों और अधिक पतन को रोकने के लिए राष्ट्रपति का तत्काल हस्तक्षेप महत्वपूर्ण है.
30 अगस्त को राष्ट्रपति से की थी मुलाकात: दिल्ली विधानसभा में नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता और अन्य बीजेपी विधायकों ने 30 अगस्त को राष्ट्रपति से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन दिया था. इसमें दिल्ली की पंगु हो चुकी प्रशासनिक व्यवस्था का मुद्दा उठाते हुए कहा गया है कि आबकारी नीति घोटाले से संबंधित गंभीर भ्रष्टाचार के आरोपों में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चार महीने से अधिक समय से जेल में हैं. जेल में बंद होने के बावजूद केजरीवाल ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है, जिससे एक गंभीर स्थिति पैदा हो गई है और इसी कारण दिल्ली में प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है. महत्वपूर्ण प्रशासनिक निर्णयों में देरी हो रही है, और आवश्यक सेवाएं बुरी तरह से प्रभावित हो रही हैं, जिसका खामियाजा दिल्ली की जनता को भुगतना पड़ रहा है.
मौजूदा AAP सरकार को बर्खास्त करने का आग्रह: इस प्रतिनिधि मंडल में शामिल बीजेपी विधायक मोहन सिंह बिष्ट, ओम प्रकाश शर्मा, अजय महावर, अभय वर्मा, अनिल वाजपेयी, जितेंद्र महाजन, करतार सिंह तंवर और दिल्ली के पूर्व मंत्री राजकुमार आनंद ने राष्ट्रपति मुर्मू से संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत मौजूदा AAP सरकार को बर्खास्त करने का आग्रह किया था. ज्ञापन में AAP सरकार द्वारा किए गए महत्वपूर्ण संवैधानिक उल्लंघनों का मुद्दा उठाते हुए कहा गया था कि दिल्ली सरकार द्वारा छठे दिल्ली वित्त आयोग का गठन न करना इसकी विफलता है.
आयोग का गठन जो अप्रैल 2021 से लंबित है, न करना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243-I और 243-Y का गंभीर उल्लंघन है, जिसके चलते दिल्ली के लिए वित्तीय योजनाओं और संसाधनों का आवंटन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. विशेष रूप से दिल्ली नगर निगम (MCD) पर इसका व्यापक असर पड़ा है. इसके अलावा दिल्ली सरकार CAG की 11 रिपोर्ट्स को विधानसभा के सदन पटल पर रखने में बार-बार विफल रही है. महत्वपूर्ण सूचनाओं को दबाने से न केवल पारदर्शिता बाधित होती है बल्कि सरकार के क्रिया कलापों और खर्च के ब्योरे की उचित जांच न हो पाने से इसके वित्तीय औचित्य पर भी गंभीर सवाल उठते हैं.