नरसिंह गंगा झरना.. स्रोत आज भी अज्ञात, यहां आ कर होता है सुकून का अहसास…
बिलासपुर। यह न सिर्फ अपनी प्राकृतिक सुंदरता से पर्यटकों को आकर्षित करता है, बल्कि यहां स्थित पलमाई देवी, नरसिंह भगवान और शिवजी के मंदिरों में श्रद्धालु अपनी भक्ति का अर्पण करते हैं। झरने का पानी एक पहेली है। जिसका स्रोत आज तक अज्ञात है।
प्राचीन गुफाएं, भैरव स्वरूप पत्थर और बाल गंगा नामक दूसरा झरना इसे और भी खास बनाते हैं। कार्तिक पूर्णिमा से लेकर महाशिवरात्रि तक के उत्सव इसे ऐतिहासिक और आध्यात्मिक यात्रा का अद्वितीय केंद्र बना देते हैं।
स्थानीय निवासी शंकर दीवान बताते हैं कि झरने के ऊपर पलमाई देवी और नरसिंह भगवान का मंदिर है, जो श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है। कार्तिक पूर्णिमा, माघी पूर्णिमा और सावन में यहां बड़ी संख्या में भक्तों का आगमन होता है। इन अवसरों पर यहां भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। महाशिवरात्रि पर भगवान नरसिंह की विशेष पूजा होती है जो भक्तों के बीच गहरी श्रद्धा का प्रतीक है।
नरसिंह झरने तक ऐसे पहुंचे है आप
नरसिंह गंगा झरना तक सड़क मार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता है। बिलासपुर से चैतमा तक बस सेवा उपलब्ध है। चैतमा बस स्टैंड से आगे 12 किलोमीटर का सफर वाहन से तय करना होता है। यहां से 500 फीट की चढ़ाई करनी पड़ती है, जिसमें आधा किलोमीटर की रैंप, 250 सीढ़ियां और फिर पहाड़ पर चढ़ाई शामिल है। यह सफर लगभग दो घंटे का है। लेकिन इस कठिनाई के बाद मिलने वाला नजारा हर थकान को दूर कर देता है।
झरने की खासियत व रहस्य
500 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह झरना सालभर एक समान गति से बहता है। स्थानीय निवासी इसे पानी की पहेली कहते हैं क्योंकि कोई नहीं जानता कि पानी का स्रोत कहां है। झरने के पास प्राचीन गुफाएं हैं और एक विशेष पत्थर को भैरव का रूप दिया गया है। झरने के दूसरी ओर बाल गंगा नामक एक और झरना मौजूद है, जो पर्यटकों के लिए अतिरिक्त आकर्षण है। यहां लोग स्नान करने के बाद पलमा देवी, नरसिंह देव, शिव जी, और सिद्ध बाबा के दर्शन करते हैं।
ऐतिहासिक व धार्मिक अनुभव
नरसिंह गंगा झरना केवल एक प्राकृतिक स्थल नहीं बल्कि धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व का केंद्र भी है। यहां लोग स्नान कर और पूजा-अर्चना करते हुए लोग अध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करते हैं। अगर प्रकृति की गोद में आस्था की गहराई महसूस करना चाहते हैं तो यह स्थल एक आदर्श गंतव्य है।